श्रीमद देवी भागवत में बताया गया है कि मां चंद्रघंटा की कृपा से भक्त के सभी पाप और बाधएं नष्ट हो जाती हैं। इनकी आराधना तुरंत फल देने वाली है। मां अपने भक्तों के कष्टों का शीघ्र निवारण करने वाली हैं। इनका उपासक शेर की तरह पराक्रमी और निर्भय रहता है। इनके घंटे की ध्वनि भक्तों की प्रेतबाधा से रक्षा करती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए यह घंटा बजने लगता है।
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विद्यार्थियों के लिए विद्या की देवी हैं मां चंद्रघंटामां का यह स्वरूप सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण है। इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति-गुण की वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। मां चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहां भी जाते हैं, वहां शांति और सुख बना रहता है। विद्यार्थियों के लिए मां साक्षात विद्या प्रदान करती हैं। वहीं साधक की सब प्रकार रक्षा करती हैं।
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मां चंद्रघंटा की ऐसे करें पूजाचित्रकूट निवासी पंडित मनोज मिश्रा बताते हैं “सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद एक चौकी पर मां चंद्रघंटा की तस्वीर या फिर प्रतीमा रखें। इसके बाद मां की तस्वीर को गंगाजल के साथ स्नान करवाएं। चौकी पर एक कलश पानी से भरकर उसके ऊपर नारियल स्थापित करें। फिर मां का ध्यान करते हुए पंचमुखी घी का दीपक जलगाएं। इसके बाद माता को सफेद या फिर पीले गुलाब के फूलों से तैयार माला अर्पित करें। फूल अर्पित करने के बाद मां को रोली, चावल और पूजा सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद मां की आरती करके केसर की खीर या फिर दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।”
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इस मंत्र का जाप करने के बाद यह काम जरूरी“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।” अर्थात- हे मां! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। यानी मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
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मां चंद्रघंटा के श्लोक पढ़कर इस अनुरोध के बाद इस दिन सांवली रंग की ऐसी विवाहित महिला, जिसके चेहरे पर तेज हो। उसे बुलाकर उनका पूजन करें। भोजन में दही और हलवा खिलाएं। भेंट में कलश और मंदिर की घंटी भेंट करें। इससे मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं।