लखनऊ. मौसम लगातार करवटें बदल रहा है। इस बार मौसम का मिजाज लगातार बनता और बिगड़ता रहा है। फरवरी माह अब, अंतिम चरण में है और ठंड विदाई की बेला में है। पर फरवरी माह जो गुनगनी ठंड के लिए जाना जाता है, पर इस माह में लगातार गर्मी में हो रहे इजाफे से हर कोई हैरान है। गुरुवार को पारा अचानक 33.4 डिग्री पर पहुंचा गया, गरमी से यूपी की जनता परेशान हो गई। मौसम विभाग से पता चला कि 25 फरवरी 2021 का दिन 15 साल में सबसे गर्म था। वैसे तो 25 फरवरी को सबसे अधिक तापमान वर्ष 2006 को 35.9 डिग्री दर्ज किया गया। फरवरी माह में पिछले 20 दिन तापमान बढ़ रहा है। मौसम विभाग का कहना है कि, फरवरी माह के बचे एक दो दिन में 2 से तीन डिग्री तापमान बढ़ने की संभावना है। मतलब साफ है कि अब यूपी में तेजी से गरमी बढ़ेगी।
वाराणसी में रविदास मंदिर में जाएंगे अखिलेश और प्रियंका गांधी, छुपा है बड़ा राज28 फरवरी को और बढ़ सकता है तापमान :- यूपी का चाहे पूर्वी इलाका हो या पश्चिमी, तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है। कर्क रेखा के निकट होने के साथ प्रयागराज में गर्मी तेजी से बढ़ रही है। दिन प्रतिदिन सूरज की किरणें तेज होती जा रही हैं। यहीं हाल गोरखपुर का भी है। बरेली में रात ठंडी दर्ज की जा रही है और दिन गर्म बने हुए हैं। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों- मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर व सहारनपुर के अलावा शामली का है जहां मौसम अब गर्म होने लगा है। मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जताया है कि आगामी 28 फरवरी को दिन का अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस हो सकता है।
गेहूं के लिए नुकसानदायक :- मार्च माह में गेहूं के पकने का समय नजदीक आ जाता है। फरवरी के अंत में गर्मी आने और कड़ी धूप होने से उन गेहूं के फसलों पर नुकसानदायक प्रभाव पड़ेगा, जो पिछड़े हुए हैं। वहीं दलहन ओर तिलहन के फसल के लिए गर्मी का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
खान-पान सही रखें :- डाक्टरों का मानना है कि शरीर का सही ढंग से ध्यान नहीं रखा गया तो बीमार पड़ने का खतरा हो सकता है। ठंडे पानी से परहेज करें। पंखे से अभी दूरी बनाकर रखें। व्यायाम पर विशेष तौर पर ध्यान दें। साथ में खान-पान भी सही रखें।
तापमान वृद्धि से आम लोगों होंगे प्रभावित :- बढ़ रहे तापमान से भारत भी अछूता नहीं है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की रिपोर्ट से पता चला है कि 2020 भारतीय इतिहास का आठवां सबसे गर्म वर्ष था। इस वर्ष तापमान सामान्य से 0.29 डिग्री सेल्सियस अधिक रेकॉर्ड किया गया था। वर्ष 2016 में अब तक का सर्वाधिक अंतर 0.71 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है। यूएन की “एमिशन गैप रिपोर्ट 2020” से पता चला है कि यदि तापमान में हो रही वृद्धि इसी तरह बनी रही तो सदी के अंत तक यह वृद्धि 3.2 डिग्री सेल्सियस के पार चली जाएगी। जिसके विनाशकारी परिणाम झेलने होंगे। तापमान में आ रही इस वृद्धि का सीधा असर आम लोगों के जनजीवन पर पड़ेगा।