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विधानसभा में लगी अदालत में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कानपुर के एक पुराने मामले में तत्कालीन आरोपी पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई। इस सजा में दोषी पुलिसकर्मियों को एक दिन का कारावास भुगतना होगा। सजा रात बारह बजे तक की है।
बीजेपी मंत्री ने सजा कम करने की मांग
विधानसभा में लगी अदालत में विधानसभा अध्यक्ष ने जब पुलिस कर्मियों को सजा सुना दी, तब कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने अदालत से सजा कम करने की मांग की। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों को रात तक नहीं बल्कि कुछ घंटे ही कारावास में रखे जाएं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने शाही की अपील को ठुकरा दिया और उनकी बात नहीं मानी। उन्होंने अपनी सजा बरकरार रखी। उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों को जेल भेज दिया। दोषी पुलिस कर्मियों को विशेष जेल में भोजन और पानी दिया जाएगा
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इन पर विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का आरोप था। जो विधानसभा में लगी विशेष अदालत में सिद्ध हो गया। इन्हें विधानसभा में लगी विशेष अदालत के कटघरे में खड़ा किया गया था। अदालत में बकायदा सुनवाई हुई उन्हें आरोप सुनाया गया। दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी।Lucknow molestation: कोचिंग जा रही छात्रा से मनचलों ने की छेड़छाड़, विरोध करने पर मारा
तब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए लाठीचार्ज कर दिया था। इस लाठीचार्ज में उस समय विधानसभा सदस्य रहे, सलिल विश्नोई का पैर पुलिस की लाठी की चोट के कारण टूट गया था। इससे उन्हें महीनों तक बेड पर रहना पड़ा था और काम काफी प्रभावित हुआ था।
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घटना के बाद 25 अक्टूबर 2004 को दी थी नोटिस लाठीचार्ज की घटना और उसमें बुरी तरह से घायल होने के बाद, उन्होंने 25 अक्टूबर 2004 को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की नोटिस दी थी।लम्बी चली थी सुनवाई, लेकिन नहीं मिली सजा विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना मामले की नोटिस पर उस समय करीब डेढ़ साल तक सुनवाई हुई थी। इसके बाद इन पुलिसकर्मियों को सर्वसम्मति से दोषी पाया गया था, लेकिन आज तक सजा नहीं हुई थी।