लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में स्कूल समिट में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि सरकार परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील की व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने जा रही है। इसके लिए ग्लोबल टेंडर किया जाएगा। द्विवेदी ने कहा कि सरकार परिषदीय स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा और आपदा प्रबंधन को भी शामिल करने जा रही है।
डॉ़ सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि बेसिक व सहायता प्राप्त 1.68 लाख स्कूलों में मिड डे मील(एमडीएम) की मॉनिटरिंग एक बड़ी चुनौती है। हमारी कोशिश है कि शिक्षकों को इसके भार से मुक्त किया जाए, जिससे वह पढ़ाई-लिखाई पर ही केंद्रित रहें। कुछ जिलों में अक्षयपात्रा के पास मिड डे मील की जिम्मेदारी है। हम मिड डे मील के लिए ग्लोबल टेंडर करने जा रहे हैं जिससे जो भी संस्थाएं इच्छुक हों वह खुली प्रतिस्पर्द्धा के तहत आकर मिड डे मील का काम ले सकें।
बेसिक शिक्षा विभाग देश का पहला पेपरलेस विभाग बनेगा :- इसके अतिरिक्त मंत्री डॉ़ सतीश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि जल्द ही बेसिक शिक्षा विभाग देश का पहला पेपरलेस विभाग बन जाएगा। विभाग में सभी काम वेबसाइट व मोबाइल ऐप के माध्यम से ऑनलाइन किए जाएंगे। केंद्र सरकार के निष्ठा मॉड्यूल को अपनाकर प्रदेश में 5.75 लाख परिषदीय शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह देश का सबसे बड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम है।
कॉर्पोरेट घरानों और निजी संस्थाओं से मांगा सहयोग :- बेसिक शिक्षा मंत्री ने परिषदीय स्कूलों के कायाकल्प के लिए कॉर्पोरेट घरानों और निजी संस्थाओं से सहयोग मांगा है। कहा, सरकार चाहती है कि यूपी के स्कूलों में टाट पट्टी इतिहास बन जाए। इसमें कॉर्पोरेट घरानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, सामाजिक संस्थाओं को सहयोग के लिए आगे आना चाहिए।
मिशन कायाकल्प से बढ़े 50 लाख बच्चे :- उन्हें प्राथमिक स्कूलों में फर्नीचर उपलब्ध कराने, योगा किट, खेलकूद सामग्री और स्मार्ट क्लास में सहयोग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले परिषदीय स्कूलों के प्रति धारणा अच्छी नहीं थी। गुणात्मक कार्य तो हुए, लेकिन गुणवत्तापूर्ण काम नहीं हुआ। लेकिन बीते ढाई वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यक्तिगत रुचि से बदलाव दिख रहा है। मिशन कायाकल्प में 91 हजार स्कूलों की व्यवस्था सुधारी गई है। इसका नतीजा है कि दो वर्ष में परिषदीय स्कूलों में 50 लाख बच्चे बढ़े है।