scriptAzad Samaj Party: दलित हितों की लड़ाई लड़ने मैदान में आई आजाद समाज पार्टी | Lucknow UP Politics Chandra Shekhar Aazad Azad Samaj Party Bhim Army | Patrika News
लखनऊ

Azad Samaj Party: दलित हितों की लड़ाई लड़ने मैदान में आई आजाद समाज पार्टी

UP Assembly Election 2022 – टाइम मैगजीन की प्रभावशाली लिस्ट में शामिल चंद्रशेखर बने बड़ी चुनौतीAzad Samaj Party – 2022 के चुनाव में कर सकते हैं बड़े दलों से गठबंधन

लखनऊJul 20, 2021 / 07:28 pm

Mahendra Pratap

Azad Samaj Party: दलित हितों की लड़ाई लड़ने मैदान में आई आजाद समाज पार्टी

Azad Samaj Party: दलित हितों की लड़ाई लड़ने मैदान में आई आजाद समाज पार्टी

फैक्ट फाइल
आजाद समाज पार्टी
स्थापना – 15 मार्च 2020
संस्थापक- चंद्रशेखर आजाद
उद्देश्य- शोषितों, वंचितों को एकजुट करना
जनाधार- पश्चिमी यूपी व यूपी के दलित बहुल्य जिले

संजय कुमार श्रीवास्तव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. हाल के वर्षों में यूपी के राजनीति क्षितिज में एक नया चेहरा काफी तेजी से उभरा और चर्चित हुआ। खासकर पश्चिमी यूपी में खूब सक्रिय इस चेहरे का नाम है चंद्रशेखर आजाद। और इनके दल का नाम है आजाद समाज पार्टी। भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Aazad ) ने 15 मार्च 2020 को अपने राजनीतिक दल की स्थापना की। चंद्रशेखर की पार्टी बहुत पुरानी नहीं लेकिन यह 2015 से ही भीमआर्मी के बैनर तले पोलिटिकल मूवमेंट चलाते रहे हैं। दलित हितों के लिए मजबूती और निडरता के साथ उठाए गए इनके कदमों से जल्द ही पार्टी की पहचान बनी। आजाद समाज पार्टी के झंडे का रंग नीला है। एएसपी 2022 के विधानसभा चुनावों ( uttar pradesh assembly elections 2022 ) में कई सीटों पर दमदारी से उतरने की तैयारी में है। टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली लिस्ट में शामिल चंद्रशेखर आज बसपा समेत कई दलों के लिए चुनौती बन चुके हैं।
यूपी में ब्राह्मणों को रिझाने के लिए फिर ‘परशुराम’ लहर

पश्चिमी यूपी में प्रभाव

यूपी की कुल आबादी में से 20.5 प्रतिशत हिस्सा दलितों का है। बिजनौर, बुलंदशहर, सहारनपुर जैसे कुछ जिलों में तो दलित समुदाय, आबादी के 25 प्रतिशत से भी अधिक हैं। इन जिलों में भीम आर्मी का काफी प्रभाव है। हालांकि अब आजाद समाज पार्टी पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी अपना विस्तार कर रही है। पार्टी की सभी 75 जिलों में स्थानीय इकाइयां हैं। पंचायत चुनावों में, आजाद समाज पार्टी (आसपा) ने पश्चिमी यूपी में करीब 500 से अधिक वार्डों में चुनाव लड़ा। और उनका दावा है कि 56 वार्डों पर उन्होंने जीत का परचम लहराया है।
गठबंधन पर मंथन

यूपी चुनाव 2022 के बारे में चंद्रशेखर का कहना है कि, एएसपी ने अभी गठबंधन के बारे में कोई फैसला नहीं किया है। पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल के संग उनकी मुलाकात हो चुकी है। हालांकि उनकी चाहत है कि बसपा प्रमुख मायावती से उनका गठबंधन हो। क्योंकि आसपा भी डॉ अंबेडकर और कांशीराम की राजनीतिक विचारधारा पर विश्वास करती है।
यूं जन्म हुआ भीम आर्मी का

भीम आर्मी के जन्म का इतिहास काफी पुराना नहीं है। भीम आर्मी का आइडिया सहारनपुर के छुटमलपुर कस्बे के एक दलित चिंतक सतीश कुमार के मन में आया था। इसके बाद पांच मई 2017 को सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलित और ठाकुर समुदाय के बीच हुई जातीय हिंसा में आजाद चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण का नाम एकाएक उभर कर सामने आया। वह बाद में भीम आर्मी के अध्यक्ष बना दिए गए। सहारनपुर का एएचपी कॉलेज भीम आर्मी का प्रेरक केंद्र रहा। सहारनपुर के भादों गांव में संगठन ने पहला स्कूल खोला।
धीरे-धीरे बन रही पहचान

भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी जातीय आधार पर खड़ा संगठन है। भीम आर्मी के सपने और उम्मीदें दोनों बड़े हैं। पर अगर जमीनी स्तर पर देखा जाए तो मजबूत संगठन और चुनाव लडऩे के लिए धन बड़ी चुनौती है। फिर भी आसपा दलितों हितों की रक्षा, दलित समुदाय के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और महिला मुद्दों को लेकर धीरे-धीरे अपनी पहचान बना रहा है।
कौन हैं चंद्रशेखर आज़ाद

भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद पेशे से वकील हैं। देहरादून से कानून की पढ़ाई की है। वह रामचरित मानस में रावण के चरित्र से बेहद प्रभावित हैं। इसीलिए उन्होंने अपने नाम के आगे कभी रावण शब्द भी जोड़ा था। हालांकि अब उन्हें रावण शब्द से पुकारे जाने पर गुरेज है।
https://youtu.be/EkhGX4ILIdo

Hindi News / Lucknow / Azad Samaj Party: दलित हितों की लड़ाई लड़ने मैदान में आई आजाद समाज पार्टी

ट्रेंडिंग वीडियो