संघ कार्यकर्ता 12.70 करोड़ परिवारों के घर जाकर कहेंगे धन्यवाद अतिरिक्त मुख्य सचिव (पंचायती राज) मनोज कुमार सिंह ने बताया कि कोविड-19 से ड्यूटी पर मौत का निर्धारण करने के लिए संशोधित प्रोटोकॉल के तहत 3,092 आवेदन प्राप्त हुए थे और इनमें से 2,020 मामलों की मुआवजे के लिए सिफारिश की गई थी। इसके अतिरिक्त 10-20 मामले और हैं जिन्हें कोविड के लिए राज्य सलाहकार बोर्ड को भेजा जाएगा। एक बार जब वे पात्रता की पुष्टि कर देते हैं, तो उनके परिवारों को भी मुआवजा मिलेगा।
सिर्फ 74 कर्मचारियों की हुई थी पहचान :- उन्होंने आगे बताया कि, ड्यूटी पर मृत्यु की उस वक्त मौजूद परिभाषा के तहत, सरकार ने 74 सरकारी कर्मचारियों की पहचान की, जिनकी मृत्यु कोविड और गैर-कोविड कारणों से हुई। उन्होंने बताया कि, अनुग्रह राशि केवल तभी दी जाएगी जब कर्मचारी की ड्यूटी पर या ड्यूटी के स्थान से पहुंचने के स्थान के एक या अधिकतम दो दिन के अंदर मृत्यु हो जाती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कर्मचारी कितनी दूर यात्रा करता है।
कर्मचारी संघ नाराज :- हालांकि, विभिन्न संघों ने दावा किया कि अधिक कर्मचारियों ने ड्यूटी के दौरान कोविड-19 के कारण दम तोड़ दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव और पंचायती राज अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे चुनाव आयोग से महामारी के प्रभाव को दर्शाने के लिए नियमों में संशोधन करने का अनुरोध करें।
यूपी कैबिनेट में बदली परिभाषा :- इसके बाद यूपी कैबिनेट ने गंभीरता दिखाते हुए 31 मई की बैठक में बदले हुए नियमों को मंजूरी दी गई। जिसके तहत चुनाव ड्यूटी के 30 दिन के अंदर अगर किसी कर्मचारी की मौत होती है और उसके परिजनों के पास उसकी कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट है तो उसके परिवार वालों को 30 लाख रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा जिन कर्मचारियों की मौत कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद, स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से हुई है, उनके परिवार भी मुआवजा पाने के अधिकारी होंगे। मतलब अगर ड्यूटी के बाद किसी की कोरोना संक्रमण रिपोर्ट निगेटिव आई हो, लेकिन फिर भी तय 30 दिन के भीतर उसकी मौत हुई हो, तो उसका परिवार को भी मुआवजा दिया जाएगा।
कई की आरटीपीसीआर रिपोर्ट गायब थी :- सरकार ने मुआवजा के लिए मृतक कर्मचारी की एंटीजन या आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट, खून की जांच या सीटी स्कैन को भी संक्रमण के प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया। मनोज कुमार सिंह ने बताया कि, सलाहकार बोर्ड को समीक्षा के लिए भेजे गए मामलों में कई केस ऐसे थे जिनकी आरटीपीसीआर या एंटीजन रिपोर्ट गायब थी पर डॉक्टर के पर्चे, खून की जांच में उच्च सीआरपी और इलाज के सबूत कोविड के संभावित मामले के रूप में संलग्न किए गए थे।
2020 की मौत कोविड-19 से हुई :- एक अधिकारी के अनुसार, यूपी पंचायत चुनाव में करीब 11 लाख सरकारी कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। जिसमें 6.5 लाख शिक्षक थे। इनमें से 2020 कोविड—19 की वजह से मौत का शिकार हो गए। इनमें करीब पचास फीसद शिक्षक थे। यूपी पंचायती राज विभाग ने अपने पोर्टल पर इन सभी 2020 लोगों के नाम अपलोड कर दिए हैं।
करीब 300 करोड़ रुपए रिलीज किए :- अभी तक पंचायत चुनाव के दौरान मौत का शिकार हुए कर्मचारियों की संख्या के अनुसार सरकार को मुआवजा के लिए करीब 600 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। फिलहाल सरकार ने करीब 300 करोड़ रुपए चुनाव आयोग को रिलीज कर दिए हैं। राज्य चुनाव आयोग के पहली किश्त के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के बाद शेष राशि जारी की जाएगी।