यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज, डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा यूं हुआ अपना दल गठन 90 के दशक में कानपुर के डॉ. सोनेलाल पटेल (sonelal patel) बहुजन समाज पार्टी (BSP) के कद्दावर नेता हुआ करते थे। लेकिन, मायावती से अनबन के बाद डॉ. पटेल ने नवंबर 1994 में लखनऊ में कुर्मियों की एक बड़ी रैली करके अपनी ताकत का अहसास कराया। और कुर्मी, पटेल, सचान, कटियार और वर्मा आदि उपजातियों में बंटे कुर्मी समुदाय को एकजुट कर अपना दल ( Apna Dal) की स्थापना की। पटेल जब तक जिंदा रहे तब तक पार्टी फलती-फूलती रही। 2007 में अपना दल का खाता तो खुला। लेकिन, पटेल नहीं जीत सके।
बेटी की जीत नहीं पचा पायीं मां 2009 में एक सड़क हादसे में पटेल का निधन हो गया। फिर उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने पार्टी संभाली। 2012 के विधानसभा चुनाव में उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल वाराणसी के रोहनियां विधानसभा से विधायक चुनी गईं। अनुप्रिया महत्वाकांक्षी हैं। उन्होंने भाजपा से नजदीकियां बढ़ायीं और 2014 और फिर 2019 में मोदी लहर में मिर्जापुर की सांसद बनीं। पार्टी का एक सांसद प्रतापगढ़ से भी जीता। 2014 के बाद 2019 का लोकसभा चुनाव और 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव अनुप्रिया ने भाजपा के साथ लड़ा था। अभी अपना दल (एस) के दो सांसद और 9 विधायक हैं। फिलहाल, यूपी कैबिनेट में अपना दल एस से जयकिशन जैकी मंत्री हैं। उनके पास जेल राज्यमंत्री की जिम्मेदारी है। लेकिन, मां को इन सब उपलब्धियों से कोई लाभ नहीं मिला।
दो टुकड़ों में बंटी पार्टी अनुप्रिया मोदी सरकार में मंत्री बन गयीं। उनके पति एमएलसी। मां और छोटी बहन की उपेक्षा बढ़ती गयी। पार्टी पर अनुप्रिया का कब्जा हो गया। धीरे-धीरे पार्टी में टूटने की प्रक्रिया शुरू हुई और अंतत: अपना दल मां-बेटी के गुट में बंट गया। अनुप्रिया और उनके पति आशीष पटेल अपना दल (सोनेलाल) का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि, सोनेलाल की पत्नी कृष्णा पटेल (Krishna patel) अपनी छोटी बेटी पल्लवी पटेल के साथ अपना दल (कृष्णा) को संभाल रही हैं।
मां का संदेशा लेकर अखिलेश के पहुंची पल्लवी कृष्णा पटेल ने जब सुना कि अनुप्रिया अमित शाह से मिलने पहुंची हैं तब उन्होंने अखिलेश यादव की सपा के साथ गठबंधन का संदेशा अपनी छोटी बेटी पल्लवी के जरिए भेजवाया। कृष्णा गुट को यूपी विधानसभा चुनाव (
uttar pradesh assembly elections 2022) और लोकसभा चुनाव में अभी अपना खाता खोलना है। माना जा रहा है कि सपा अपना दल (कृष्णा) को कुछ सीटें दे सकती है।
पूर्वांचल में अपना दल की अहमियत कानपुर से लेकर मिर्जापुर तक गंगा से लगे जिलों में कुर्मी बिरादरी की बहुलता है। जातीय अंकगणित में 7 फीसदी वोटबैंक कुर्मियों का है। यूपी के16 जिलों में कुर्मी और पटेल वोटबैंक छह से 12 फीसदी तक हैं। इनमें मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले प्रमुख हैं। अपना दल एस ने जिन 9 सीटों पर जीत दर्ज की हैं उनमें पार्टी का वोट शेयर करीबन 40 फीसदी से अधिक था।