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प्रसंगवश : उप्र में विधानसभा चुनाव से पहले गाय पर सियासत

प्रसंगवश 02.09.2021 : हाईकोर्ट के सुझाव के बाद यूपी में गोवंश पर चर्चा, देखना दिलचस्प होगा सरकार क्या लेती है फैसला

लखनऊSep 02, 2021 / 05:58 pm

Sanjay Kumar Srivastava

प्रसंगवश : उप्र में विधानसभा चुनाव से पहले गाय पर सियासत

प्रसंगवश : उप्र में विधानसभा चुनाव से पहले गाय पर सियासत

गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए, यह बात इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कही है। इसके पहले वर्ष 2017 में राजस्थान हाईकोर्ट ने भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया था। हालांकि, अब तक सरकारों ने इस पर कोई अमल नहीं किया। निश्चित रूप से गाय भारतीय जन-जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। खासकर ग्रामीण परिप्रेक्ष्य में तो गोवंश के बिना जीवन की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती। अब भी भारत लगभग 60 फीसद कृषि आधारित देश है।
ग्रामीण इलाकों में साथ शहरों में भी गाय आर्थिक संबल का बहुत बड़ा सहारा हैं। दूध बेचकर कई घरों का गुजारा चलता है। तो कुछ गाय पालकर दूध की जरूरतों को पूरा करते हैं। परोक्ष और अपरोक्ष रूप से गाय से जुड़ी हर चीज भारतीय परिवार का हिस्सा है। गाय का गोबर जहां प्राकृतिक खेती के लिए उपयोगी है तो वहीं गौमूत्र आर्युवेद में तमाम बीमारियों के लाभकारी बताया गया है। गोवंश के संबंध में वैज्ञानिक पक्ष यह है कि गाय एकमात्र प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती है। पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर से होता है। पंचगव्य के कैंसरनाशक प्रभावों पर यूएस से भारत ने पेटेंट प्राप्त कर रखा है। 6 पेटेंट अभी तक गौमूत्र के अनेक प्रभावों पर प्राप्त किए जा चुके हैं। देश ही नहीं विदेशों में भी गाय पर सबकी नजर है।
भारतीय शास्त्रों, पुराणों और धर्मग्रंथों में इसीलिए गाय की महिमा को बताते हुए इसे मां के समान पूजने की बात कही गयी है। यानी गाय और भारतीय संस्कृति एक दूसरे की पूरक हैं। उप्र में ‘देशी’ गायों के प्रति अपना आभार प्रकट करने के लिए 22 नवंबर को गोपाष्टमी का त्योहार राज्यव्यापी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। एक योजना के तहत यूपी सरकार गायों के रखरखाव के लिए प्रति माह 900 रुपए देती भी है। यूपी में इस वक्त फिलहाल, करीब 5,268 गौ रक्षा केंद्र हैं। उप्र में 171 बड़े गौ-संरक्षण केंद्र या गाय अभयारण्य बनाए गए हैं। 3,452 चारा बैंकों के माध्यम से गायों को समय पर चारा उपलब्ध कराया जा रहा है। गायों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधान किए गए हैं। देश के 29 राज्यों में से 24 में गौ हत्या पर प्रतिबंध है।
इन तमाम खूबियों के बावजूद न केवल यूपी बल्कि देशभर में गोवंश की हालत खराब है। शायद यही वजह है कि हाइकोर्ट को गाय को राष्ट़ीय पशु घोषित करने के लिए आग्रह करना पड़ा। धर्मनिरपेक्ष देश भारत में सबकी मान्यताएं अलग-अलग हो सकती हैं। लेकिन गोवंश की उपयोगिता से इनकार नहीं किया जा सकता है। बहरहाल, यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर गाय मुद्दा बन गयी है। देखना दिलचस्प होगा गाय को लेकर सियासत किस करवट बैठती है।(संकुश्री)

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