वूमेन पावर लाइन के अधिकारियों ने उसे 112 पुलिस कंट्रोल रूम पर संपर्क करने की सलाह दी। 112 पर फोन करने के बाद जब पुलिस पीड़िता के घर पहुंची, तो उन्होंने उसे कृष्णा नगर थाने जाने के लिए कहा।
कृष्णा नगर थाने में जब पीड़िता पहुंची, तो वहां के अधिकारियों ने उसे बताया कि मामला पीजीआई थाना क्षेत्र में आता है। इसके बाद पीड़िता ने पीजीआई थाने का रुख किया। वहां उसे बताया गया कि यह घटना तो सुशांत गोल्फ सिटी क्षेत्र में हुई है, इसलिए उसे उस थाने पर जाना होगा।
परेशान होकर जब पीड़िता सुशांत गोल्फ सिटी थाने पहुंची, तो उसे फिर से निराशा का सामना करना पड़ा। वहां के अधिकारियों ने कहा कि मामला शहीद पथ अंडर पास बिजनौर थाना क्षेत्र में आता है, इसलिए उसे बिजनौर थाने में रिपोर्ट दर्ज करनी होगी।
आखिरकार, मंगलवार शाम को पीड़िता बिजनौर थाने पहुंची। थाना प्रभारी अरविन्द सिंह राना ने तुरंत रिपोर्ट दर्ज की और कार्रवाई शुरू की। यह मामला इस बात को उजागर करता है कि पुलिस की कार्यप्रणाली में न केवल कमी है, बल्कि महिलाओं को अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिला सुरक्षा के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिसमें मिशन शक्ति योजना भी शामिल है। यह योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें सुरक्षित महसूस कराने के लिए बनाई गई है। लेकिन इस तरह की घटनाएं इस योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती हैं।
इस घटना ने लखनऊ में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जबकि सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई योजनाएं चला रही है, वास्तविकता में महिलाओं को सुरक्षा देने में सिस्टम की खामियां सामने आ रही हैं। पीड़िता का अनुभव यह दर्शाता है कि किस तरह महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। यह जरूरी है कि प्रशासन ऐसे मामलों को गंभीरता से ले और महिलाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे।