स्टेशन पर लगी मेट्रो की एलईडी स्क्रीनों पर ‘मेटरो’ लिख दिया गया है। आम यात्रियों पर इस त्रुटि का कोई अधिक प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन हिंदी भाषा के जानकारों और विद्वानों ने इस त्रुटि को लेकर आपत्ति जताई है। दरअसल, यह आपत्ति इसलिए भी है क्योंकि मेट्रो के प्रोजेक्ट में एक-एक चीज की बारीक परख होती है और उसकी तैयारी पूरी कुशलता के साथ की जाती है। मामला सामने आने के बाद इसे ‘टाइपिंग मिस्टेक’ बताकर सुधारने की कोशिश शुरू कर दी गई है।
Lucknow University के हिंदी विभाग के शोध छात्र आनंद कुमार कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। देश की बड़ी आबादी हिंदी भाषा का प्रयोग करती है। मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट, जो कार्यकुशल और जानकार लोगों की देखरेख में संपन्न होते हैं, उनमें इस तरह की त्रुटि चिंता का विषय है। इसमें तत्काल सुधार किया जाना चाहिए और इस पर ध्यान देना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।
Lucknow Metro के मेटरो होने की चर्चा सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगी। लोग तरह-तरह की टिप्पणियों के साथ इसकी आलोचना करने लगे। यह सूचना जब मेट्रो प्रशासन तक पहुंची तो उसने मामले का संज्ञान लेते हुए सक्रियता दिखाई। मेट्रो के एक अफसर ने पत्रिका को बताया कि टाइपिंग में गलती के कारण यह भूल हुई है। इसे तत्काल सुधारने कोशिश की जा रही है।
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