अगर बैंक अकाउंट में नहीं आ रहा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का धन तो करें शिकायत, 11-13 अक्टूबर के बीच होगा तुरंत समाधान अपर मुख्य सचिव, राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि, राज्य विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में पिछले वर्षों के छात्रों की डिग्रियों नहीं वितरित हुईं हैं। कई डिग्रियां तो 10 से 12 वर्ष या उससे भी अधिक पुरानी हैं।
नियमों को शिथिल करें :- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि, ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिससे लंबित डिग्रियों का शीघ्र वितरण हो सके और भविष्य में दीक्षा समारोह के तत्काल बाद सभी छात्रों को उनकी डिग्रियां वितरित कर दी जाएं। पुरानी डिग्रियों के वितरण में अनावश्यक नियमों को शिथिल करके छात्रों को उनकी डिग्री लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
10 सदस्यीय कमेटी का गठन : – अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इस संदर्भ में गठित 10 सदस्यीय कमेटी से विमर्श करके निर्णय लिया गया कि लंबित डिग्रियों को वितरित करने के लिए उपाधि शुल्क लेने की बाध्यता खत्म की जा रही है, सभी डिग्रियां निशुल्क वितरित की जाएंगी। पुराने छात्रों को अंतिम अंकपत्र पर प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट निर्गत किए गए होंगे, इसलिए उनके डिग्री वितरण में अब अदेयता प्रमाणपत्र भी जरूरी नहीं होगा। डिग्री भेजने के लिए इन छात्रों से कोई आवेदनपत्र नहीं लिया जाए व लंबित डिग्री वितरण में दी जा रही छूटों का प्रचार-प्रसार किया जाए।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि कमेटी ने पांच बिंदु तय किए गए हैं। डिजी-लाकर में डिग्री उपलब्ध कराएं।
उपाधि शुल्क अंतिम वर्ष में जमा कराएं।
अदेयता प्रमाण-पत्र प्राप्त कर करें।
छात्र पता प्राप्त कर लेना।
डिग्री भेजने के लिए कोई आवेदन पत्र न लेने।