scriptChaitra Navratri 2021 : पूरी करनी है मनोकामना तो नवरात्र में यूपी के इन शक्ति पीठों का करें दर्शन | know devi shakti peeth of uttar pradesh on Chaitra Navratri | Patrika News
लखनऊ

Chaitra Navratri 2021 : पूरी करनी है मनोकामना तो नवरात्र में यूपी के इन शक्ति पीठों का करें दर्शन

मान्यता है कि Chaitra Navratri 2021 पर जो श्रद्धालु यूपी के इन शक्ति पीठों दर्शन करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।

लखनऊApr 12, 2021 / 07:05 pm

Hariom Dwivedi

photo_2021-04-12_16-54-38.jpg
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. चैत नवरात्रि 2021 (Chaitra Navratri 2021) 13 अप्रैल से शुरू हो जाएगी। इस दिन हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2070 का आगाज भी होगा। चैत नवरात्रि के नौ दिन बेहद खास होते हैं। ऐसी धारणा है कि इन दिनों मां की उपासना करने से मां प्रसन्न होकर इच्छाएं पूर्ण करती हैं। नवरात्रि पर्व 21 अप्रैल तक चलेगा। 21 अप्रैल को भगवान राम जन्म लेंगे और रामनवमी का पर्व पूरे प्रदेश में बेहद उत्साह से मनाया जाता है। वैसे तो पूरी दुनिया में 51 शक्ति पीठ हैं। जिसमें चार यूपी के मशहूर शक्ति पीठ हैं। जिनकी हिन्दू धर्म बहुत मान्यता है। यह भी मान्यता है कि नवरात्र पर जो श्रद्धालु यूपी के इन शक्ति पीठों दर्शन करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।
वृंदावन में उमा शक्तिपीठ
वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं। यहीं पर आद्या कात्यायिनी मंदिर, शक्तिपीठ भी है जहां के बारे में कहा जाता है कि यहां पर माता के केश गिरे थे। वृन्दावन स्थित श्री कात्यायनी पीठ ज्ञात 51 पीठों में से एक अत्यन्त प्राचीन सिद्धपीठ है। वृंदावन आगरा से 50 किमी, दिल्ली से 150 किमी दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा, 12 किमी की दूरी पर है।
यह भी पढ़ें

हिन्दू नववर्ष का महत्व, विशेषताएं और मनाने का तरीका



वाराणसी- विशालाक्षी शक्तिपीठ
काशी विशालाक्षी मंदिर हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्राचीन नगर काशी में बाबा के मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यह यह शक्तिपीठ मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां आने वाले हिंदू श्रद्धालु विशालाक्षी को ‘मणिकर्णी’ के नाम से भी जानते हैं। हिन्दुओं मान्यतानुसार यहां देवी सती के दाहिने कान के कुंडल गिरे थे।
प्रयाग- ललिता शक्तिपीठ
हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। इलाहाबाद में तीन मंदिरों को, शक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति ललिता के हैं। प्रयाग में सती की हस्तांगुलिका गिरने से राजराजेश्वरी, शिवप्रिया, त्रिपुर सुंदरी मां ललिता देवी का प्रादुर्भाव भय—भैरव के साथ हुआ। जिस स्थान पर कभी माता की अंगुलियां गिरी थीं, वहां पर आज एक 108 फीट ऊंचा गुंबदनुमा विशाल मंदिर है।
यह भी पढ़ें

हनुमान जयंती के बीच चर्चा, आखिर कहां हुआ था बजरंग बली का जन्म?



रामगिरि- शिवानी शक्तिपीठ
उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था। इसकी शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं। हालांकि कुछ लोग मैहर (मध्य प्रदेश) के शारदा देवी मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं। चित्रकूट में भी शारदा मंदिर है। रामगिरि पर्वत चित्रकूट में है। रामगिरि शक्ति पीठ में नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
कोरोना गाइडलाइन पालन अवश्य करें
यूपी में इन शक्ति पीठों के अलावा कई और मशहूर देवी मंदिर हैं। जिनमें मीरजापुर में मां विंध्यवासिनी, नैमिषधाम की आदिशक्ति पीठ ललिता देवी मन्दिर, सहारनपुर में शाकुम्बरी और देवीपाटन के मंदिर में नवरात्र को दूर दूर से भक्त आएंगे और मां के दर्शन का लाभ उठाएंगे। सभी भक्त कोरोना गाइडलाइन का पालन अवश्य करें।

Hindi News / Lucknow / Chaitra Navratri 2021 : पूरी करनी है मनोकामना तो नवरात्र में यूपी के इन शक्ति पीठों का करें दर्शन

ट्रेंडिंग वीडियो