जानें ट्रेन का इतिहास रेलवे अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रपति जिस ट्रेन से यात्रा करते हैं, उसे प्रेसिडेंशियल सलून भी कहते हैं। ट्रेन में दो कोच होते हैं, जिनका नंबर 9000 व 9001 होता है। अब तक देश के अलग-अलग राष्ट्रपति 87 बार इस सैलून का प्रयोग कर चुके हैं। वर्ष 1950 में पहली बार राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने दिल्ली से कुरुक्षेत्र का सफर प्रेसिडेंशियल ट्रेन से किया था। इसी क्रम में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. नीलम संजीवा रेड्डी ने भी प्रेसिडेंशियल ट्रेन से सफर किया था। इसका नियमित रूप से इस्तेमाल 1960 से 1970 के बीच होता रहा। इसके बाद वर्ष 2003 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इससे बिहार की यात्रा की थी और अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस ट्रेन से सफर कर रहे हैं।
क्वीन विक्टोरिया के प्रयोग के बाद आया था चयन में इतिहासकार हफीज किदवई ने ट्रेन के इतिहास को लेकर कहा है कि प्रेसिडेंशियल ट्रेन का प्रयोग 19वीं शताब्दी में किया जाता था। सबसे पहले क्वीन विक्टोरिया ने इसका प्रयोग किया था, फिर यह चलन में आ गया था। 1927 में इसे कलकत्ता में सुरक्षित रख दिया गया। ट्रेन में पर्शिया की कालीनों से लेकर सिंकिंग सोफे रहते थे।