औषधीय गुणों की खान दुर्लभ प्रजाति के पारिजात के फल को बचाने में लगे साइंटिस्ट
लखनऊ. सांस्कृतिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पारिजात वृक्ष की अपनी महत्ता रही है। यह वृक्ष लोगों को आस्था से जोड़ता है। पारिजात वृक्ष बाराबंकी के किंतूर गांव में है, जो कि धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। सुलतानपुर, हमीरपुर, कानपुर और लखनऊ में भी पारिजात की दुर्लभ प्रजातियों के वृक्ष हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वृक्ष को संरक्षित घोषित किया है। मगर हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करने वाले पारिजत वृक्ष अब विलुप्त होता जा रहा है। इन पेड़ों पर फल कम और पत्तियां ज्यादा नजर आती हैं। पारिजात वृक्ष के महत्व को संरक्षित और विकसित करने के लिए राजधानी के नेशनल बोटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने शोध की योजना बनाई है। नेशनल बोटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट एसके तिवारी के मुताबिक फरवरी 2016 से इस वृक्ष की देखरेख की जा रही है। पिछले 10 सालों में पारिजात में फूलों की कमी पाई गई है। क्लोनिंग से इसकी विरासत को जीवित रखने की उम्मीद है।
पारिजात का पौराणिक महत्व पारिजात वृक्ष बाराबंकी शहर से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर बसे किंतूर गांव में है। किंतूर गांव का नाम पांडवों की माता कुंती के नाम पर पड़ा। मान जाता है कि पारिजात के सफेद फूलों से कुंती भगवान शिव की पूजा किया करती थीं। यहां पर पांडवों ने माता कुंती के साथ अपना अज्ञातवास बिताया था। कहा जाता है कि पारिजात के वृक्ष को छूने से ही सारी थकान मिट जाती है। यह वृक्ष अपने आप में विशाल है। इसकी ऊंचाई 45 फीट और चौड़ाई 50 फीट है।
किंतूर स्थित पारिजात वृक्ष अपनेआप में कई मायनों में अनूठा है। वैसे तो यह अपनी तरह का पूरे भारत में इकलौता वृक्ष है, लेकिन इसकी प्रजातियां सुल्तानपुर के उद्दोग केंद्र परिसर में भी पाई जाती हैं। इसके अलावा लखनऊ के केजीएमयू परिसर, कानपुर, हमीरपुर और इलाहाबाद में दुर्लभ प्रजाति के पारिजात हैं।
बहुपयोगी है पारिजात हिंदू धर्म ग्रंथों में महत्वपूर्ण स्थान से नवाजे गए दुर्लभ प्रजाति का पारिजात औषधीय गुणों की खान है। आयुर्वेद में इस वृक्ष के तने से लेकर शिखा तक में असाध्य रोगों के निदान का उपाय बताया गया है। ह्रदय रोगियों को पारिजात के फूलों के रस का सेवन करना चाहिए। पारिजात की पत्तियों को पीसकर शहद में मिलाकर सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है। वहीं इन्हीं पत्तियों को पीसकर त्वाच पर लगाने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं। पारिजात के फल में सफेद बीज होता है।इसे पीस कर पानी में घोल पिया जाता है। विदेश में इसके बीज से एनर्जी ड्रिंक तैयार किए जाते हैं।