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लखनऊ

पाकिस्तान की सरकार के बस में वहां की सेना नहीं: कंवल सिब्बल

पत्रिका की नोट 2018 के विचारों के समागम में शनिवार को पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने भारत पाकिस्तान के संबंधों पर अपने विचार रखे।

लखनऊApr 07, 2018 / 03:31 pm

धीरेंद्र यादव

Kanwal Sibal

Kanwal Sibal

लखनऊ। पत्रिका की नोट 2018 के विचारों के समागम में शनिवार को पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने भारत पाकिस्तान के संबंधों पर अपने विचार रखे। कंवल सिब्बल एक प्रतिष्ठित राजनायिक हैं जो भारत सरकार के विदेश सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। कंवल सिब्बल का मानना है कि 1947 से ही पाकिस्तान हमारा विरोधी रहा है। जो भी उनके पास हथियार हैं वह हमारे खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है। 1965,71, 99 में पाकिस्तान के साथ जो लड़ाई हुई वह काश्मीर में कब्जे को लेकर हुई थी। पाकिस्तान आतंक वाद को बढ़ावा दे रहा है। आतंकवाद 1980 से चल रहा है। भारत ने खालिस्तान आंदोलन को समाप्त किया था। 2008 में मुंबई, आतंक वादी हमले, इसके अलावा आर्थिक हालत पर हमलों का पाकिस्तान खुले तौर पर समर्थन करता आया है। भातर के सेकुलरिज्म पर पाकिस्तान दाग लगाने की कोशिश करता रहा है। पाकिस्तान चाहता है कि भारत की हिंदू राष्ट्र के रूप में पहचान न हो न कि सेकुलरिज्म के रूप में। पाकिस्तान यह दिखाना चाहता है कि भारत में मुस्लिमों के साथ भेदभाव हो रहा है।
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सलमान के मामले को धार्मिक मामले से जोडा पाकिस्तान ने
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पीएम सलमान खान के मामले को धार्मिक मामलों से जोड़कर मुद्दा उठाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ का भाषण परवेज मुशर्रफ से ज्यादा आक्रामक रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा शिमला समझौते का उल्लंघन करता आया हैँ। उसने आतंकवाद को बढ़ावा न देने की शर्तों का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान भारत के सााथ शांति नहीं रख सकता। उनका मानना है कि पाकिस्तान की सिविलियन सरकार के साथ बात हो सकती है, लेकिन वहां की सेना उसे इजाजत नहीं देती। वहां पर सरकार का प्रभाव नहीें हैं। सेना मानती है कि वह इस्लाम को सुरक्षा देती है तो भारत से सुलह कैसी हो सकती है। नवाज शरीफ की बैठक सेना के लोगों से हुई थी। डॉन के अनुसार, नवाज ने कहा था सेना हमारा बहुत नुकसान कर रही हैं। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने दे रहे हैं। रिपोर्ट के बाद पीएम को इस्तीफ देना पड़ा था। आतंक वाद को पाकिस्तान से सीधे बढ़ावा मिल रहा है। पाकिस्तान के साथ परमाणु हथियार के मामले में मामला हमको साफ रखना होगा। हम उनके खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं ले सकते, क्योंकि यह संभव है कि कभी पाकिस्तान युद्ध के साथ परमाणु वाद शुरू हो सकता है। पाकिस्तान हमारे साथ इकोनॉमी संबंध भी नहीं चाहता।
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मोदी को विरासत में मिला है विवाद
पाकिस्तान के साथ कई बार विवाद हो चुका है। पाकिस्तान को कई बार छूट दी है। उसे पता है हम तैयार हैं। मोदी को विवाद विरासत में मिला है। मुंबई आतंक वाद के बाद दोनों ने बातचीत की थी, लेकिन भारत की तरफ से बयान आया था कि अगर आप एक कदम आगे बढ़ाएंगे तो हम एक मील कदम आगे बढ़ेंगे। लेकिन पाकिस्तान की ओर से क भी ऐसा बयान नहीं आया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जनता ही वहां की डेमोक्रेसी को सपोर्ट कर सकती है। समझौता एक्सप्रेस को दोबारा शुरू किया गया और फिर से पैर पर कुल्हाड़ी मार दी। सियाचिन भी डॉयलाग का हिस्सा बन गया। 1996 से कंपोजिट डॉयलोग शुरू हुआ। आज तक कोई बदलाव नहीं हुई। पाकिस्तान को इससे हौसला मिलता है। भारत के पास कोई विकल्प नहीं है।
पाकिस्तान अपनी तरफ से अपना एजेंडा चेंज नहीं करता है
पीएम मोदी के शासन के भीतर काफी जरूरी बदलाव आए हैं, लेकिन इनसे हम पाकिस्तान समस्या का हल नहीं निकाल पाएंगे। उन्होंने कहा कि जैसे पीएम मोदी ने अगस्त 2015 मेगा पीएम ने जिक्र किया लेकिन शायद कोई ऐसा कदम नहीं उठाया, जिससे पाकिस्तान को ऐसा संकेत दिया जाए कि वह भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद करें। पीएम मोदी ने कोशिश शुरू की और टेंशन को कम करना चाहते थे। नवाज को बुलाया और पाकिस्तान भी गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सरकार ने बिल्कुल साफ किया कि जब तक आतंकवाद चलेगा हम बातचीत नहीं करेंगा। आतंकवाद रोकिए तब आगे बात होगी।
पाकिस्तान की घुसपैठ जारी
अब पाकिस्तान पर यूएनए का काफी दबाव है, लेकिन पाकिस्तान को चीन का समर्थन है और पाकिस्तान ऐसा नहीं करेगा। वह अफगानिस्तान की तरह ही यूएनए से डील करेगा। पाकिस्तान सीज फायर कम कर देता है, लेकिन फिर भी घुसपैठ होती रहती है। पाकिस्तान के हालात काफी बिगड़ रहे हैं वहां के आर्थिक हालात खराब हो गए हैं। वह छिपा रहे हैं। पीएम मोदी काफी ठीक कर रहे हैं। इसी रास्ते पर चलना चाहिए। राजनीतिक स्तर पर यूएनए का जो समर्थन अब मिल रहा है वह पहले कभी नहीं मिला। अमेरिका ने भी कई चीजों पर बैन लगा दिया है। राजनैतिक विदेश नीति पीएम मोदी के समय कोई नई नीति नहीं है। 1989 के बाद आतंकवाद इस कदर हावी हुआ कि सोवियत की अफगानिस्तान में हार के बाद, कश्मीर में हिंसा के लिए जो हो सकता है वो सब हुआ। कई शहरों में आतंकी हमले हुये, हर जगह कई तरीके के हमले हुए। भारत ने उनको रोकने की कोशिश की, लेकिन संभव नहीं हो सका। ये लोकतंत्र देश न रहे पाकिस्तान की कोशिश रही। उसका मानना है कि यहां मुस्लिमों का शोषण होता है।
पाकिस्तान शांति पूर्वक नहीं रह सकता
भारतीय मुसलमानों का शोषण, दंगा फसाद, सलमान खान की सजा पर बयान देकर अपना निम्नतम स्तर दिखाता रहा है। उसने पानी का मुद्दा बना रख है । नवाज शरीफ के बयान देखिए जो भारत का दोस्त बताया जाता है। लेकिन उनके भाषण परवेज मुशर्रफ से भी ज्यादा घिनोने थे। कोई लीडर ऐसा नहीं है जिसने आतंकवाद को कम करने के लिए कुछ किया हो हर तरीके से हिंसा बढाने की कोशिश की जाती रही। पाकिस्तान शांति पूर्वक नहीं रह सकता। इसके पीछे वहां सेना की भूमिका। नागरिक सरकार से बातचीत का कोई फायदा नही। सेना कभी भारत के साथ दोस्ती की इजाजत नहीं देती। वहां की मिलिट्री ही जेहादियों को सपोर्ट करती है।पाकिस्तान का रवैया अभी तक नहीं बदला है। मोदी सरकार में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, लेकिन इन बदलावों से पाकिस्तान की स्थिति सही नहीं होगी।

पीएम मोदी ने उठाया बलूचिस्तान का मुद्दा
2015 में बलूचिस्तान का मुद्दा मोदी ने उठाया,लेकिन उसके बाद क्या हुआ कुछ नहीं पता चला। उसके सैनिक मर रहे हैं लेकिन कारगिल में सेना के लोगों की लाशें नहीं ली। वे लोग बताते नहीं है अपनी जनता को । मोदी जी की नीति ठीक चल रही है। इस समय यूनाइटेड स्टेटे सपोर्ट मिल रही है। हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी संगठन घोषित किया। गल्फ देशों ने सपोर्ट करना शुरू कर दिया। क्रॉस बॉर्डर आतंकवाद स्टेटमेंट नहीं आ रहा।चीन ने 54 में स्वीकार कर लिया था कि तिब्बत चीन का भूभाग है। तिब्बत का संवेदनशील मुद्दे को लेकर हटना मुश्किल है। नेपाल से सीमा खुली है। रणनीतिक रूप से 1962 से 2005 तक अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करना शुरू कर दिया। चीन के भडकाने वाले बयान आते रहते हैं। इस समय भारत सरकार की जो नीति है वह पाकिस्तान और चीन के लिए ठीक ही है।

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