सिंधिया ने समीक्षा बैठक में दो-दो लोकसभा सीटों की एक साथ बैठक की। इसमें जिला-शहर अध्यक्षों ने बाहरी प्रत्याशियों द्वारा स्थानीय संगठन से तालमेल न करने की बात कही। उनका कहना था कि प्रत्याशी चयन में स्थानीय संगठन की कोई राय नहीं ली जाती है और प्रत्याशी ऊपर से थोप दिये जाते हैं। वहीं प्रत्याशियों का कहना था कि अधिकांश जिलों में पार्टी का संगठन केवल कागजी है। संगठन जमीन पर तो काम ही नहीं कर रहा है। हैरानी कि बात तो यह है कि बूथ पर पार्टी का बस्ता लगाने वाले तक नहीं थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ती की जिसमें उन्होंने कहा कि यूपी में कांग्रेस को मजबूत करना हमारी एकमात्र प्राथमिकता है। सिंधिया ने स्पष्ट कहा कि चुनाव के आए नतीजे बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं है। अब आगे की रणनीति कार्यकर्ताओं की राय लेकर बनाई जाएगी। इस साल के अंत में 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि अगले चरण में उपचुनाव की एक-एक सीट के बारे में स्थानीय नेतृत्व से चर्चा करके प्रत्याशियों के बारे में फैसला लिया जाएगा। अच्छे प्रत्याशियों को आगे लाया जाएगा व बूथ स्तर तक संगठन के पुनर्गठन के बारे में हम फैसला लेंगे।