जेडीयू के प्रदर्शन पर बात करने से पहले आपको पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह का बयान बता देते हैं। लखनऊ में उन्होंने कहा है, “अखिलेश यादव समाजवादी विचारधारा के हैं और हमारे मित्र भी हैं। ऐसे में हम अगर उत्तर प्रदेश में गठबंधन करेंगे तो स्वाभाविक तौर पर हम समाजवादी पार्टी के साथ ही करेंगे। समाजवादी पार्टी हमारा वास्ताविक सहयोगी हो सकता है।”
जदयू का कैसा था विधानसभा में प्रदर्शन
साल 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में जदयू अकेले लड़ी थी। पार्टी ने 403 में से 27 सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे। इन सभी सीटों कुल मिलाकर 97, 738 वोट ही जदयू हासिल कर पाई थी। 26 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
प्रदेश में सिर्फ जौनपुर की मल्हनी सीट ही ऐसी थी। जहां जदयू लड़ाई में थी। इस सीट पर जेडीयू के धनंजय सिंह ने 79,830 वोट हासिल करते हुए दूसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी।
सपा के लिए जदयू को सीट देना क्यों मुश्किल
जदयू उत्तर प्रदेश में किसी भी तरह का प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही थी। मल्हनी में भी जो वोट मिले थे, उसमें भी ज्यादातर धनंजय सिंह के अपने वोट थे। दूसरी ओर भाजपा की लहर के बावजूद सपा ने ये सीट जीती थी। यानी जदयू ने सपा की बजाय भाजपा को ही नुकसान पहुंचाया था।
जदयू ने 2024 में गठबंधन की इच्छा जताई है तो वो कम से कम एक सीट पर वो प्रदेश में जरूर लड़ना चाहेगी। दूसरी ओर अखिलेश यादव की सपा पहले ही राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन में है। कुछ और छोटे दलों को भी वो जोड़ सकते हैं।
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सपा गठबंधन में पहले ही सीटों पर खींचतान
सपा के साथियों में 2022 में सीटों के लिए काफी खींचतान देखने को मिली थी। अगर 2024 में जदयू गठबंधन में शामिल होकर सीट मांगती है तो ये उनके लिए बहुत मुश्किल होगा। ऐसे में गठबंधन के दूसरे साथी इस बात का हवाला देंगे कि अगर जदयू का एक भी विधायक ना होने पर लोकसभा सीट दी जा रही है तो उनको ज्यादा सीटें दी जाएं। इसको देखते हुए अखिलेश यादव जदयू का समर्थन तो जरूर लेंगे लेकिन उनको सीट देना संभव नहीं लगता है।