जब सुषमा स्वराज ने दी थी धमकी- ‘सोनिया गांधी पीएम बनीं तो मैं अपना सिर मुंडवा लूंगी
झांसी की रानी पर लिखी कविता सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।।
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमेशा सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।। कानपुर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।।
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।। लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।।
बुंदेले हरबेलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी।।