लखनऊ,
घर के अंगना में सजना का साथ हो, पावों में महावर और बिछुए का वास
हो..मेहंदी रचे हाँथों में,माथे पे बिंदिया का श्रृंगार हो !बालों में गजरे
कीे महक और माँग में लाल सिंदूर खास हो!ऐसा ही होता हैं पति पत्नी का
प्यार जिसे दोनों बखूबी निभाते हैं । इस प्यार को और मजबूत करने के लिए आज
इस पवित्र दिन राशि के अनुसार दान करें जिससे आप का सौभाग्य हमेशा बना रहे
। ज्योतिषाचार्य गणेश मिश्रा ने बतायाकि अगर हरितालिका व्रत के दिन हर
राशि की महिलाएं अपनी -अपनी राशि के अनुसार माता गौरी को कुछ सुहाग की
चीजें अर्पित करें तो उनको माता गौरी का आशीर्वाद मिलता हैं साथ ही किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती ।
राशि के अनुसार दान
> मेष राशि की महिलाओं को लाल रंग की चूड़ियों को अर्पित करना चाहिए ।
>वृषभ राशि की महिलाओं के लिए चांदी की बिछियां अर्पित करें ।
>मिथुन राशि वाली महिलाओ को हरे रंग की साड़ी माता को अर्पित करनी चाहिए ।
>कर्क राशि की महिलाओ को इत्र और अच्छी खुशबूदार चीजो को अर्पित करें ।
>सिंह राशि की महिलाये माता गौरी को आलता अर्पित करें ।
>कन्या राशि की महिलाये हरे रंग की चूड़ियां अर्पित करें ।
>तुला राशि की महिलाये चाँदी की पायल अर्पित करें ।
>वृश्चिक राशि की महिलाएं लाल रंग की साड़ी अर्पित करें ।
>धनु राशि की महिलायें सिन्दूर अर्पित करें ।
>मकर राशि की महिलाओं को सिन्दूर ,आलता ,बिंन्दी अर्पित करें ।
>कुम्भ राशि की महिलाएं इत्र ,सुगंध अर्पित करें ।
>मीन राशि की महिलाएं चांदी पायल अर्पित करें ।
हरियाली तीज व्रत की पूजन
सामग्री >
गीली काली मिट्टी या बालू रेत। बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता,
धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, सभी
प्रकार के फल एवं फूल पत्ते, फुलहरा आदि ।
पार्वती मां के लिए
सुहाग सामग्री- मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी,
माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि। श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन,
घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए। इस
सामग्री प्रयोग किया जाता है
हरियाली तीज व्रत कथा इस प्रकार है
शिवजी
कहते हैं- हे पार्वती! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में
पाने के लिए कठिन तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते
चबाकर ही दिन व्यतीत किए थे। किसी भी मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर
तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे। ऐसी
स्थिति में नारद जी तुम्हारे घर पधारे।
जब तुम्हारे पिता ने नारदजी
से उनके आगमन का कारण पूछा, तो नारदजी बोले- ‘हे गिरिराज! मैं भगवान्
विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं। आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न
होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता
हूं।’
नारद जी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे
नारदजी। यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं, तो
इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती। मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं।’
फिर
शिवजी पार्वतीजी से कहते हैं- ‘तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारद जी,
विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के
बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। तुम मुझे यानि कैलाशपति शिव को
मन से अपना पति मान चुकी थी।
तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी
सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली से सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन
में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना
करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुखी
हुए। वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली
तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम
नहीं मिली।
तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी।
भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना
की जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। इसके बाद तुमने
अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की
तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे
स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा
विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे।’ पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर
ली और तुम्हें घर वापस ले गए। कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान से
हमारा विवाह किया।’ Hindi News / Lucknow / ‘हरतालिका तीज ‘के दिन राशि के अनुसार क्या अर्पित करें !