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लखनऊ का लक्ष्मण कनेक्शन, क्या बदलेगा अब राजधानी का भी नाम

History of Lucknow भगवान लक्ष्मण का नाम राजधानी लखनऊ से लंबे समय से जुड़ा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी(BJP) के शीर्ष नेता स्वर्गीय लालजी टंडन(Lalji tandon) ने अपनी पुस्तक अनकहे किस्से में इस संबंध में जिक्र किया है। यह किताब वर्ष 2018 में सामने आई थी। किताब में लालजी टंडन ने लिखा था कि लक्ष्मण टीला(laxman tila) को अब टीले वाली मस्जिद के नाम से जाना जाता है। एक समय था जब इसे लक्ष्मण टीला(laxman tila) कहा जाता था। किताब में बताया गया है कि लक्ष्मण के टीले पर औरंगजेब के शासनकाल में मुगल गवर्नर द्वारा मस्जिद का निर्माण कराया गया था।

लखनऊMay 19, 2022 / 02:21 pm

Prashant Mishra

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History of Lucknow. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नाम को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं तेज हो गयी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लखनऊ दौरे से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ट्वीट कर शहर के नाम पर बहस छेड़ दी थी। योगी ने ट्वीट किया था कि शेषावतार भगवान श्री लक्ष्मण जी की पावन नगरी लखनऊ में आपका हार्दिक स्वागत व अभिनंदन…। पीएम मोदी आए और चले भी गए। लेकिन लक्ष्मण की नगरी को लेकर बहस जारी है। इलाहाबाद, फैजाबाद के बाद अब लखनऊ का नाम बदलने की मांग मुखर हो उठी है। हालांकि, सीएम की इस पुरानी ट्विट के बाद उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से राजधानी लखनऊ का नाम बदलने के संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। हां, लखनऊ में लक्ष्मण की एक विशाल मूर्ति लगाने की तैयारी है।
लखनऊ में मूर्ति लगाने की तैयारी
लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया ने ऐलान किया है कि 151 फीट ऊंची भगवान लक्ष्मण की मूर्ति को हनुमान मंदिर के पास झूलेलाल पार्क में स्थापित किया जाएगा। इस संबंध में प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा गया है। मूर्ति की स्थापना के लिए 15 करोड़ का बजट मांगा गया है। मेयर ने कहा है कि शहर का सही नाम लक्ष्मणपुरी है। लक्षमण की मूर्ति को प्रेरणा स्थल के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिससे नई पीढ़ी को लक्ष्मण के योगदान से प्रेरणा मिल सके।
लखनऊ से लक्ष्मण का ऐतिहासिक कनेक्शन
भगवान लक्ष्मण का नाम राजधानी लखनऊ से लंबे समय से जुड़ा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता स्वर्गीय लालजी टंडन ने अपनी पुस्तक अनकहे किस्से में इस संबंध में जिक्र किया है। यह किताब वर्ष 2018 में सामने आई थी। किताब में लालजी टंडन ने लिखा था कि लक्ष्मण टीला को अब टीले वाली मस्जिद के नाम से जाना जाता है। एक समय था जब इसे लक्ष्मण टीला कहा जाता था। किताब में बताया गया है कि लक्ष्मण के टीले पर औरंगजेब के शासनकाल में मुगल गवर्नर द्वारा मस्जिद का निर्माण कराया गया था।
ऐसे बदला नाम
वर्ष 2018 में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा इस किताब का विमोचन किया गया था। लालजी टंडन की किताब के शीर्षक लक्ष्मण का टीला और विरासत के साथ छेड़छाड़ में लिखा गया है कि पुराना लखनऊ लक्ष्मण किले के पास बसा था। चाहे मुगल काल हो, औरंगजेब के समय मस्जिद का निर्माण हो, मोहम्मद अली शाह की मजार हो, नौबत खाना हो, इकरा बाग हो, अलविदा ग्राउंड हो, औरंगजेब का काल हो, नवाबी काल हो, आजादी के कुछ दशक बाद हो, लक्ष्मण टीला हमेशा से लक्ष्मण टीला ही रहा। लेकिन न जाने कब लक्ष्मण टीला का नाम बदल कर पूरी तरह से टीले वाली मस्जिद हो गया।
बदलता इतिहास
शहर के नाम के इतिहास की बात करें तो लखनऊ का नाम सबसे पहले लक्ष्मणवती था। जो बाद में लक्ष्मणपुर हुआ। लक्ष्मणपुर के बाद इसका नाम बदलकर लखनावती हुआ। अब शहर का नाम लखनऊ है। भाजपा नेता की किताब में जिक्र है कि यह शहर राम भगवान की ओर से लक्ष्मण को दिया गया था। बाद में लक्षमण टीले पर मस्जिद का निर्माण किया गया। टंडन का मानना था कि टीले क्षेत्र का आर्कियोलॉजिकल सर्वे किया जाना चाहिए।
लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित करने की मांग
वर्ष 2018 में भारतीय जनता पार्टी के कॉरपोरेटर रजनीश गुप्ता और राम किशोर यादव ने एक प्रस्ताव म्युनिसपल कारपोरेशन को भेजा था। प्रस्ताव में लक्ष्मण का टीला क्षेत्र में भगवान लक्ष्मण की मूर्ति लगाने की बात कही गई थी। प्रस्ताव पर अन्य राजनीतिक दलों ने वह मुस्लिम नेताओं ने विरोध किया था। जिसके बाद यह प्रपोजल ठंडे बस्ते में चला गया।
कांग्रेस ने किया था विरोध
कांग्रेस पार्टी से कॉरपोरेटर मुकेश सिंह चौहान ने बताया कि जिस समय प्रस्ताव नगर निगम के पास भेजा गया था उस समय हमने विरोध किया था। हमारा तर्क था कि गोमती के पास पहले से ही लक्ष्मण भगवान की मूर्ति मौजूद है। वही, हिंदू मान्यता के तहत भगवान की मूर्ति सड़क के किनारे नहीं लगाई जाती है। ऐसे में मूर्ति लगाने की आवश्यकता नहीं है।
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क्या कहते हैं इतिहासकार
इतिहासकार अब्दुल हलीम ने अपनी किताब पुराना लखनऊ में लिखा है कि कोई भी निश्चित रूप से नहीं जानता कि शहर की स्थापना किसने की और इसका नाम कैसे पड़ा। कुछ लोककथाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भगवान राम के वनवास के बाद यह भूमि लक्ष्मण को दी गई थी। एक टीले के चारों ओर एक छोटा गांव बसाया गया था। जिसे लक्ष्णपुरी कहा जाता था वहीं टीले को लक्ष्मण टीला कहते थे।

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