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लखनऊ

आजम खां की सांसदी को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने कही यह बात, जया प्रदा ने दिया था यह तर्क

लोकसभा चुनाव के बाद भी रामपुर से समाजवादी पार्टी सांसद आजम खां व चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं अभिनेत्री व भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी जया प्रदा के बीच तनातनी जारी है।

लखनऊJun 14, 2019 / 07:33 pm

Abhishek Gupta

Azam Khan

Azam Khan

लखनऊ. लोकसभा चुनाव के बाद भी रामपुर से समाजवादी पार्टी सांसद आजम खां व चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं अभिनेत्री व भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी जया प्रदा के बीच तनातनी जारी है। इसी कड़ी में शुक्रवार को तो जया प्रदा व उनके वकील अमर सिंह इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ इकाई पहुंच गए और आजम खां की सांसदी को रद्द करने के लिए याचिका दायर की जिस पर शाम तक फैसला भी आ गया। सियासी गलियारों में इसको लेकर हड़कंप मच गया। रामपुर लोकसभा से आजम खां के चुनाव को जया प्रदा ने चुनौती दी। जया प्रदा ने याचिका दायर की और तर्क उनके वकील अशोक पांडेय ने पेश किए। वैसे इस याचिका के लिए राज्यसभा सांसद अमर सिंह भी जया के वकील हैं। अशोक पांडेय ने इस पर बताया कि अमर सिंह ने याचिका पर दस्तखत करने के साथ ही वकालतनामा भी दाखिल किया है। उन्होंने 1984 में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था।
यह था मामला-
शुक्रवार को आजम खां के चुनाव को चुनौती देते हुए कोर्ट में दाखिल याचिका में भाजपा नेता जया प्रदा के वकील का कहना है कि आजम खां रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय के चांसलर हैं। वहीं दूसरी तरफ वह रामपुर से लोकसभा सांसद भी हैं। ऐसे में वकील का तर्क था कि वह दो पदों का लाभ कैसे उठा सकते हैं। वह किस कानूनी के तहत संसद के सदस्य का पदभार संभाले हुए हैं। याचिका में यह भी दलील दी गई है कि यह तय नियम है कि कोई भी व्यक्ति लाभ के दो पदों पर नहीं रह सकता। ऐसे में लोकसभा की आजम खां की सदस्यता रद की जाए और जया को रामपुर से सांसद घोषित किया जाए।
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Azam Jaya
कोर्ट ने कही यह बात-
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने फिल्म अभिनेत्री तथा पूर्व सांसद जया प्रदा की इस याचिका को खारिज कर दिया। याचिका पर न्यायमूर्ति राजन रॉय और एन के जौहरी सुनवाई कर रहे थे जिन्होंने जया प्रदा की याचिका को न्यायिक क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना है कि रामपुर इलाहाबाद हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में है। इस वजह से याचिका की लखनऊ खंडपीठ में सुनवाई नहीं हो सकती है। वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि रिट याचिका खुद कायम नहीं है और ऐसी परिस्थितियों में केवल चुनाव याचिका ही स्थानांतरित की जा सकती है।
जया प्रदा ने पहले कहा था यह-

जया प्रदा ने कहा था कि आजम खान ने 2 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए नॉमिनेशन दाखिल किया था। उस समय आजम खान जौहर यूनिवर्सिटी के कुलापति थे यानी लाभ के पद पर थे। यह अनुच्छेद 102(1) ए और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 9(ए) के अलावा संविधान के अनुच्छेद 191(1)ए का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आजम खान ने रामपुर की जनता और चुनाव आयोग को धोखे में रखा है। इस दौरान उन्होंने 2006 में सोनिया गांधी और जया बच्चन की सदस्यता खत्म होने का भी हवाला दिया था।

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