ये भी पढ़ें- कोरोनावायरस: यदि लग रह है डर, तो सोचे नहीं खुद को घर में करें क्वॉरेंटाइन, सरकार ने किया बड़ा ऐलान यूपी लोक सम्पत्ति तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश की वैधता को हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता शशांक श्री त्रिपाठी ने चुनौती देते हुए जनहित याचिका दाखिल कर दी है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार विरोध प्रदर्शन के दौरान लोक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से भरपायी करने का अध्यादेश – 2020, यूपी लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश के मार्फत लायी है। इसकी वैधता को हाईकोर्ट में विभिन्न आधार पर चुनौती दी गयी है। सरकार इस प्रकार का अध्यादेश लाने के लिए सक्षम नहीं थी। यह अध्यादेश हाईकोर्ट के हाल ही में पारित आदेश को व्यर्थ करने के उद्देश्य से लाया गया है। बहस में कहा गया कि सीआरपीसी व पब्लिक प्रॉपर्टी डैमेजेज एक्ट के प्रावधानों के प्रतिकूल है।
इस अध्यादेश को चुनौती देते हुए अन्य याचिकाएं भी दायर की गई है । इन याचिकाओं में कई अन्य आधार भी लिए गए हैं, जिसकी सुनवाई कोर्ट 27 मार्च को एक साथ करेगी। इसमें कहा गया कि यूपी सरकार का यह अध्यादेश भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। इन याचिकाओं में अध्यादेश को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गयी है। याची का कहना है कि यह कानून निजता के मूल संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
ये भी पढ़ें- कोरोना को लेकर यूपी कैबिनेट में हुई गहन चर्चा, सीएम योगी ने किए बड़े ऐलान, जानें सभी पांच फैसलों के बारे में पोस्टर मामले में भी मिली राहत- वहीं लखनऊ हिंसा में सार्वजानिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के पोस्टर हटाने के मामले में भी योगी सरकार को हाईकोर्ट से फौरी तौर पर राहत मिल गई है। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और राकेश सिन्हा की पीठ ने सरकार को 10 अप्रैल तक की मोहलत दी है। गौरतलब है कि यूपी सरकार ने सोमवार को याचिका दाखिल की थी जिसमें पोस्टर मामले में रिपोर्ट पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपील का हवाला देकर हाईकोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा गया था।