उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना रोग से ग्रसित मरीजों में उपचार के बाद ब्लैक फंगस पाया जा रहा है। इससे रोगी की मृत्यु भी हो रही है। इसलिए इस रोग का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाना इसके उपचार और बेहतर परिणाम के लिए आवश्यक है। उन्होंने ब्लड शुगर कंट्रोल करने की सलाह दी है। साथ ही यह भी कहा कि स्टेरॉयड का तर्कसंगत उपयोग इस रोग से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है।
कोविड, मधुमेह के रोगियों में अधिक आशंका – ब्लैक फंगस ऐसे रोगियों के लिए ज्यादा खतरनाक है जो कि कोविड, मधुमेह के रोगी हैं। वह कोविड रोगी जो स्टेरॉयड व टोक्लीजुमाव या अन्य इम्यूनोस्पसेट प्रयोग कर रहे हैं और उनका ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं है।
– कोविड रोगी जो पहले से इम्यूननोसपरासेंट्स प्रयोग कर रहे हैं। – जिन कोविड रोगियों का अंग प्रत्यारोपण हो चुका है उन्हें भी इस रोग से सावधान रहने की सलाह दी गई है।
रोग के लक्षण – नाक बंद होना या नाक में पपड़ी जमना। – चेहरे में भरापन होना, चेहरे पर दर्द, माथे पर दर्द होगा। – आंख का लाल होना, आंख का सूजना और आंखों के चारों तरफ भरापन होना।
– आंखों की रोशनी जाना, कमजोर दृष्टि होना, चेहरे और नाक का रंग बदलना, आदि। जांच – ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर नेजल स्पेकुलम से नाक की प्रारंभिक जांच कराएं। – इसके साथ ही नेजल एंडोस्कोपी और केओएच वेट माउंट टेस्ट भी कराएं।
बचाव के तरीके – शुगर लेवल कंट्रोल में रखना। – स्टेरॉयड का उचित, तर्कसंगत और विवेकपूर्ण प्रयोग। – ऑक्सीजन ट्यूबिंग का बार-बार बदला जाना और प्रयोग की गई ऑक्सीजन ट्यूब का दोबारा इस्तेमाल न किया जाए।
– कोविड मरीज को ऑक्सीजन देते समय उसका आर्द्रताकरण करें और आर्द्रता विलयन बार-बार किया जाए। – दिन में दो बार नाक को सलाइन से धोएं।
ये भी पढ़ें: कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के बढ़ रहे मामले, बीएचयू में आए पांच से ज्यादा मामले, आंखों पर पड़ रहा असर