कर्मचारियों का ब्योरा हुआ था ऑनलाइन आपको बता दें कि यूपी की योगी सरकार ने पारदर्शिता के लिए इस साल से ऑनलाइन तबादला अनिवार्य किया था। इसके लिए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का पूरा ब्योरा ऑनलाइन किया गया। ऑनलाइन तबादले में प्रदर्शन के आधार पर तैनाती देने की व्यवस्था की गई। इसके लिए काम के आधार पर अंक तय किए गए। सर्वाधिक अंक पाने वाले को उसके मन मुताबिक तबादले की सुविधा दी गई। इसीलिए कर्मियों को इस बार तबादला नीति आने का बड़ी बेसब्री से इंतजार है, लेकिन कोरोना के चलते अभी इस दिशा में काम तक शुरू नहीं हुआ है।
सालों से जमे कई अधिकारी और कर्मचारी राज्य सरकार ने 29 मार्च 2018 को स्थानांतरण सत्र 2018-19 से 2021-22 तक (चार वर्ष) के लिए एक साथ तबादला नीति जारी की थी। नीति के तहत एक अप्रैल से 31 मई के बीच तबादले करने का अधिकार दिया गया। मगर अप्रैल समाप्त होने को है और अभी तक तबादला नीति को लेकर कोई चर्चा तक नहीं हो रही है। शासन ने पिछले वर्ष 12 मई 2020 को कोविड-19 के मद्देनजर स्थानांतरण सत्र 2020-21 के लिए अग्रिम आदेशों तक सभी तरह के तबादले पर रोक लगा दी। मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर विशेष परिस्थितियों में ही तबादले का अधिकार दिया गया। स्थिति यह है कि एक ही जिले में अधिकारी और कर्मचारी सालों से कार्यरत हैं। नीति न आने के चलते किसी कर्मचारी व अधिकारी का तबादला नहीं हो पा रहा है।
चुनाव आयोग के निर्देश पर ही होगा तबादला यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए साल के अंत तक नवंबर में अधिसूचना संभावित है। चुनाव आचार संहिता के आधार पर सालों से एक ही स्थान पर जमे कर्मियों को हटाने की व्यवस्था है। इसलिए अधिसूचना के बाद सालों से एक ही स्थान पर जमे कर्मचारियों को हटाने को लेकर भी पेंच फंसेगा। क्योंकि उस स्थिति में चुनाव आयोग के निर्देश पर कर्मचारियों को हटाया जाएगा।