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कुशल रणनीतिकार हैं JP Naddaजेपी नड़्डा (JP Nadda) की छवि शांत और कुशल रणनीतिकार नेता के तौर पर होती है। उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाये जाने के बावजूद उन्होंने कुशलता से न सिर्फ चुनाव चुनाव प्रबंधन संभाला, बल्कि जिलों का दौरा भी किया। अमित शाह की तरह ही उन्होंने बूथ कार्यकर्ताओं सीधे संपर्क किया और सपा-बसपा के गठबंधन के बावजूद उनका उत्साह कम नहीं होने दिया और चुनावी टीम को लगातार सक्रिय रखा। जेपी नड्डा उत्तर प्रदेश के अलावा भी कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं।
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जेपी नड्डा के सामने आएंगी यह चुनौतियांजेपी नड्डा (JP Nadda) के लिए कार्यकारी अध्यक्ष पद पर काम करना इतना आसान नहीं होगा। पार्टी प्रमुख के तौर पर उनके सामने अमित शाह के सेट किये बेंचमार्क को बनाये रखना बड़ी चुनौती होगा। इसके अलावा अगले 6-7 महीनों में करीब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। दिल्ली को को छोड़कर तीन राज्य ऐसे हैं, जिनमें बीजेपी की सरकार है। बीजेपी शासित राज्यों में सत्ताविरोधी माहौल से निपटना उनके लिए इतना आसान नहीं होगा। इसके अलावा उनके सामने महाराष्ट्र में शिवसेना और बिहार में जदयू को साथ रखना भी बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। पार्टी के बड़बोले नेताओं पर लगाम लगाने के अलावा जेपी नड्डा के सामने दक्षिण भारत के लिए रणनीति बनाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा।
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कौन हैं जेपी नड्डामूल रूप से हिमाचल प्रदेश के निवासी जेपी नड्डा (JP Nadda) ब्राह्मण परिवार से हैं। वर्तमान में वह राज्यसभा से सांसद हैं। नड्डा के पास संसदीय बोर्ड के सचिव का भी पद है। बिहार के पटना के ग्रेजुशन की पढ़ाई की और एलएलबी की डिग्री हिमाचल प्रदेश से ली। जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से वह तीन बार विधायक रहे। 2014 में जेपी नड्डा को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। इससे पहले वर्ष 2008 से 2010 तक नड्डा वन, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री भी रहे।