तैयार हुआ प्रस्ताव EPF new rate of interest: सातवें वेतनमान को लेकर सरकारी कर्मचारियों को मोदी सरकार से काफी उम्मीदें थी। अंदाजा लगाया जा रहा था कि बकाए भुगतान को लेकर फैसला हो सकता है। लेकिन होली के मौके पर केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को तोहफा देने की जगह झटका दिया है। होली से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने पीएफ खाताधारकों को जोर का झटका देने की तैयारी में है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए पीएफ जमा पर ब्याज दर में 0.7 प्रतिशत कटौती का निर्णय लिया गया है जिसके बाद ब्याज दर 8.5% से घटकर 8.1% हो सकती है।
पिछले 40 साल में सबसे कम दर यह दर पिछले 40 साल में सबसे कम ब्याज दर है। इस फैसले से देश में करीब 5 करोड़ कर्मचारियों को नुकसान होगा। इससे पहले 1977-78 में ईपीएफ के आठ प्रतिशत व्यास दिया था उसके बाद से या 8.25% या इससे अधिक रहा है। पिछले 40 वर्ष में पहली बार है जब ब्याज दर कम करने की तैयारी है।
निर्णय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गुवाहाटी में ईपीएफओ की बैठक शुक्रवार को शुरू हुई थी। कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इससे उच्च ब्याज दर की मांग की। पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने इसे 8.1 फ़ीसदी रखने का निर्णय लिया है। ईपीएफओ के पास इससे 450 करोड़ रुपए का सर प्लस होगा। फैसले के बाद इसकी सूचना वित्त मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजी जाएगी। देश में खाता धारको के लिए 1992 में पीएफ पर ब्याज दर 30 फ़ीसदी थी जिसके बाद इसमें बढ़ोतरी होती रहे। 1972 में पहली बार यह 6 फ़ीसदी के ऊपर गई। 1984 से पहली बार 10 फीसदी के ऊपर पहुंची।
ये भी पढ़ें: दावा निकला सही, चुनाव बाद बढ़ाई गईं पेट्रोल की कीमतें, जानें जेब पर कितना पड़ेगा असर अन्य निवेश से है बेहतर EPF new rate of interest: अभी भी ईपीएफ में निवेश करना बाकी निवेशकों से बेहतर है। एफडी व अन्य बचत योजनाओं से ईपीएफ में अधिक ब्याज मिलता है। एफडी में निवेश करने पर 5.4 फ़ीसदी रिटर्न मिलता है जबकि ईपीएफ में निवेश करने पर 8.1% ब्याज मिलता है। इतना ही नहीं ईपीएफ के अन्य निवेश पर ब्याज दर 6.8% से 7.1% ही है।