भारत में हर साल सांप के काटने से होती है 50 हजार लोगों की मौत, यूपी सबसे आगे
लखनऊ. बारिश के मौसम में सर्पदंश के मामले बढ़ गये हैं। औसतन हर दिन राज्य के किसी न किसी कोने से सांप के काटने के मामले सामने आते हैं। सीतापुर के सदरपुर थाना क्षेत्र में 07 अगस्त को सर्पदंश के काटने से तीन सगे भइयों की मौत हो गई। वहीं, बीते महीने जौनपुर जिले में सांप के काटने से सगे भाई-बहन सहित तीन काल के गाल में समा गये थे। अब बहराइच जिले के रूपईडीहा थाना क्षेत्र में दो दिनों में ही सांप ने 26 लोगों को डस लिया। ग्रामीण इसे नागिन का इंतकाम बता रहे हैं।
भारत में स्नेक मैन नाम से मशहूर सर्प वैज्ञानिक रोमुलस व्हिटकर की पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ सांइस नाम के जर्नल में 2011 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष जून से सितंबर के बीच सर्पदंश से 45,900 से 50,900 लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से ग्रामीण इलाकों में होने वाली मौतें 97 फीसदी हैं। इनमें 59 फीसदी पुरुष और 41 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। सर्पदंश से हुई मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश (8,700) नंबर वन है। इसके बाद आंध्र प्रदेश (5,200) और बिहार (4,500) आते हैं।
वर्ष 2020 के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में पिछले 20 सालों में सांप के काटने से 12 लाख लोगों की मौत हुई है। इनमें 50 फीसदी तक 30-69 आयु वर्ग के लोग सर्पदंश का शिकार हुए हैं। 25 प्रतिशत संख्या बच्चों की है। ज्यादातर मौतें रसेल वाइपर, करैत और कोबरा प्रजाति के सांपों के काटने से हुई है। इसी तरह अन्य मौतें सांपों की 12 अन्य प्रजातियों के काटने और समय पर उपचार नहीं मिलने से हुई है। अध्ययन के मुताबिक, कुल मौतों में से 50 प्रतिशत मौतें मानसून काल (जून से सितंबर) में हुई हैं। इस अवधि में बारिश के कारण सांप अपने बिल से बाहर निकलते हैं। सबसे अधिक मौत सांपों के पैरों में काटने से हुई है।
झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें, तुरंत अस्पताल ले जाएं आपदा प्रबंध प्राधिकरण कार्यालय का कहना है कि सांप काट ले तो झाड़-फूंक कराने के बजाय उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं। समय इलाज कराएं। समय से बेहतर इलाज मिलने पर सांप का जहर निष्प्रभावी हो जाता है और जान बच जाती है। देर होने पर जान का खतरा बढ़ जाता है।
सर्पदंश से मौत पर चार लाख का मुआवजा देती है सरकार योगी आदित्यनाथ सरकार ने सर्पदंश से होने वाली मौत को राज्य में आपदा घोषित किया है। इसके बाद सांप के काटने से होने वाली मौत पर पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। मुआवजे का क्लेम करने के लिए सीएचसी-पीएचसी या किसी भी सरकारी अस्पताल से उसका प्रमाण जरूर लें।