री-जेनरेशन से पैदा होगी बिजली री-जेनरेशन प्रोसेस से लखनऊ मेट्रो साल भर में 3.60 करोड़ रुपये बचा पाएगा। लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एलएमआरसी) के प्रबंधक कुमार केशव के मुताबिक मेट्रो मोटर से चलती है। 25 केवी पेंटा के जरिये ट्रेन में करंट पहुंचता है, जो ट्रांसफार्मर के जरिये गियर घुमाता है। लेकिन इसका उल्टा प्रयोग लखनऊ मेट्रो पर लागू होगा। जब ब्रेक लगेगा तो जेनरेट होने वाली बिजली 32 केवी को सीधे जाएगी। उन्होंने बताया कि हर महीने 60 लाख का बिल सिर्फ मेट्रो संचालन पर आता है। अगर यह 23 किमी पर चलेगी, तो बिल ढाई गुना हो जाएगा लेकिन री-जेनरेशन से बिजली भी खूब पैदा होगी।
तीन स्टेशनों पर बिजली पहुंचेगी एलीवेटेड स्टेशनों की छतों पर जल्द ही सोलर लगाए जाएंगे। इसका उद्देश्य यह होगा कि जो बिजली जेनरेट हो, उससे स्टेशन पर इस्तेमाल होने वाली बिजली को खर्च किया जा सके। लखनऊ मेट्रो टीम ने केडी सिंह, विश्वविद्यालय और आईटी मेट्रो स्टेशन को चार्ज कर लिया है। 10 जनवरी तक इन सभी स्टेशनों पर विद्युत विभाग की द्वारा बिजली पहुंचाने का लक्ष्य पूरा किया जाएगा।
ट्रेन 18 के दो रैक इसी साल में ट्रेन 18 को लेकर चर्चा तेज है। जापान और यूरोप के कई देशों में बिना इंजन वाली ट्रेन सेट तकनीक पर भारतीय रेलवे बोर्ड ने 1991 में विचार किया था। लेकिन तकनीकि परेशानियों की वजह से मामला वहीं रुक गया। 26 साल भाद लखनऊ के आंगन में पले बढ़े जीएम एस. मणि ने ट्रेन 18 को मूर्त रूप देने की मुहिम छेड़ी। हालांकि, तकनीकि दिक्कतें तब भी थीं।
ट्रेन 18 का फ्रेम कानपुर की कंपनी ने बनाया। ट्रेन 18 की अनुमानित लागत वैसे को 100 करोड़ थी लेकिन इसे 97 करोड़ में ही पूरा किया गया। 18 महीने में 16 बोगी वाली ट्रेन 18 का सपना सच कर दिखाया गया। पहला रैक तैयार हो चुका है। दूसरा रैक भी बनकर तैयार होने वाला है। वहीं तीसरा रैक भी इस साल मार्च तक आने की उम्मीद है।