गांवों की बिजली काटकर दूसरे राज्यों को बेचने पर याचिका
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने दो दिन पहले विद्युत नियामक आयोग में ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति की व्यवस्था को समाप्त करने के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने गांवों में 6 घंटे और नगर पंचायतों तथा तहसील मुख्यालयों पर 2.30 घंटे बिजली काटे जाने का विरोध किया था। नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से जवाब-तलब किया है।
शुक्रवार को परिषद ने एक और याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली काटकर दूसरे राज्यों को बेचा जा रहा है और छह विद्युत उत्पादन इकाइयों को शटडाउन दिया जा रहा है। वर्मा ने कहा कि यूपी में पिछले कई वर्षों से फुल कास्ट टैरिफ लागू है, ऐसे में गांवों और शहरों की बिजली सप्लाई में अंतर करना असंवैधानिक है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गांवों में 18 घंटे बिजली सप्लाई के रोस्टर के बावजूद बमुश्किल 10 से 12 घंटे ही बिजली दी जा रही है।
राकेश टिकैत ने उपभोक्ताओं को उनका अधिकार दिलाने की मांग की
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौ. राकेश टिकैत ने गांवों की बिजली कटौती पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा कि कुछ माह पूर्व यूपी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का आदेश जारी किया था, लेकिन 1 जुलाई 2024 से फिर से गांवों की बिजली सप्लाई 18 घंटे कर दी गई। गांवों में छह घंटे की बिजली कटौती और छह उत्पादन इकाइयों को बंद करना उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के पास पर्याप्त बिजली होने के बावजूद विभाग जानबूझकर कटौती कर रहा है। टिकैत ने मांग की कि किसानों को फ्री-बिजली देने के आदेश का पालन किया जाए और मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि उपभोक्ताओं तथा किसानों को उनका अधिकार दिलाने का कार्य करें।