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लखनऊ

नर्सिंग कॉलेजों में मानकों से समझौता नहीं: ब्रजेश पाठक

उप मुख्यमंत्री ने पीजीआई में राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का किया शुभारंभ, कहा- मानकों की लगातार चल रही जांच

लखनऊMar 17, 2023 / 05:38 pm

Ritesh Singh

   नर्सिंग में 4000 पदों के लिए निकला था विज्ञापन

नर्सिंग में 4000 पदों के लिए निकला था विज्ञापन

मरीजों की जान बचाने में नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की भूमिका अहम है। सरकार नर्सिंग की पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है। नर्सिंग परीक्षा में स्वकेंद्र प्रणाली खत्म कर दी गई है। नर्सिंग कॉलेजों को मानक पूरे करने के निर्देश दिये गये हैं। लगातार मानकों की जांच की जा रही है। यह कहना है उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का।
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पीजीआई कॉलेज ऑफ नर्सिंग के तत्वावधान में आयोजित 16वीं राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि नर्सिंग क्षेत्र में अच्छे छात्रों को लाने की पहल की गई है। इंटर कॉलेजों में छात्र-छात्राओं से संपर्क कर काउंसलिंग की जा रही है ताकि नर्सिंग के प्रति लोग जागरूक हो सकें। नर्सिंग पेशे को चुने। अब तक प्रदेश के 240 इंटर कॉलेजों में संपर्क किया जा चुका है। छात्रों को नर्सिंग की पढ़ाई, रोजगार के अवसरों से रूबरू कराया गया है। यह अभियान अभी जारी रहेगा।
नर्सिंग में सुनहरा करियर

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें इंटर कॉलेजों में इसलिए संपर्क करना पड़ा, ताकि अच्छे छात्र नर्सिंग में करियर बना सकें। इससे पहले सरकार ने 4000 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। लगभग एक लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा महज 3000 अभ्यर्थियों ने पास की। 2200 लोग मेरिट में आए। बाकी पद खाली रह गये। इसके बाद हमने नर्सिंग कॉलेजों की गुणवत्ता बढ़ाने का फैसला किया। जांच-पड़ताल शुरू की। पता चला बहुत से कॉलेजों में पर्याप्त फैकल्टी व दूसरे संसाधन ही नहीं थे।
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ऐसे में बच्चे क्या सीखेंगे? सख्ती शुरू की तो नर्सिंग की परीक्षा का रिजल्ट 85 फीसदी से घटकर 25 प्रतिशत पर आ गया। इसके बावजूद सरकार का इरादा नहीं डिगा। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ को रोकने के लिए स्वकेंद्र परीक्षा प्रणाली बंद की गई। उन्होंने बताया कि बच्चों में जुनून है। होनहार हैं। धीरे-धीरे व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है।
मातृ मृत्यु दर में आएगी कमी

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के अस्पतालों में मेडवाइस (दाई) को प्रशिक्षित किया जाए। सामान्य व जटिल प्रसव के बीच अंतर व लक्षणों की जानकारी दी जाये। इससे सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिलेगा। बड़े अस्पतालों से मरीजों का दबाव कम होगा।
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मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों में कमी लाने में मदद मिलेगी। पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमान ने कहा कि नर्सें मरीज और डॉक्टरों के बीच की कड़ी हैं लिहाजा इन्हें और अधिक मजबूत करने की जरूरत है। इस तरह के प्रशिक्षण मरीज हित में हैं।

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