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लखनऊ

लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा की तरह कांग्रेस भी छोड़ सकती है सीटें, दोस्ताना चुनावी लड़ाई के हैं आसार

गठबंधन के बाहर रहने के बावजूद कांग्रेस की कई लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा से दोस्ताना चुनावी लड़ाई होने के आसार हैं।

लखनऊJan 25, 2019 / 05:23 pm

Abhishek Gupta

Akhilesh mulayam

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में कांग्रेस के लिए कोई जगह फिलहाल दिखती नजर नहीं आ रही है, लेकिन कांग्रेस फिर भी उम्मीद में हैं कि 2019 चुनाव में वह इन पार्टियों के साथ लड़ सकती है। वहीं गठबंधन के बाहर रहने के बावजूद कांग्रेस की कई लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा से दोस्ताना चुनावी लड़ाई होने के आसार हैं। हाल ही अमेठी-रायबरेली दौरे पर आए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के बयानों से इसकी संभावनाएं प्रबल दिख रही हैं। और ऐसे में कांग्रेस भी सपा-बसपा की तरह यूपी में कुछ सीटें छोड़ सकती है।
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राहुल ने दिए थे संकेत-

तीन राज्यों में सरकार बनाने के बाद पहली बार बुधवार को अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी आए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सपा-बसपा गठबंधन को लेकर किए गए सवालों के जवाब में कहा कि वह भाजपा को मिटाने के लिए आए हैं। सपा-बसपा गठबंधन भी भाजपा को हराने के लिए ही बना है। उन्होंने कहा कि व अखिलेश यादव व मायावती की इज्जत करते हैं और दोनों दलों की विचारधारा कांग्रेस से मेल खाती है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को हराने में जहां कांग्रेस के सहयोग की जरूरत होगी, कांग्रेस सहयोग करेगी।
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Akhilesh mulayam
Akhilesh mulayam IMAGE CREDIT: Net
मुलायम, अखिलेश के लिए छोड़ सकती है कांग्रेस सीट-
सूत्रों के मानें तो कांग्रेस भी सपा-बसपा की तरह कुछ सीटें मुलायम परिवार के लिए छोड़ सकती है। मतलब सपा के लिए वह सीटें जिन पर मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव व उनकी पत्नी डिंपल यादव चुनाव लड़ेंगी, मुमकिन है उनपर कांग्रेस अपना प्रत्याशी न उतारे। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती भी यदि चुनाव लड़ती हैं तो कांग्रेस उनके लिए भी सीट छोड़ सकती है। सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में अगर कुछ सीटों पर ऐसी स्थिति बनती है कि कांग्रेस का प्रत्याशी न रहने पर भाजपा की हार निश्चित है तो कांग्रेस उस स्थिति में भी दोस्ताना भूमिका निभा सकती है।
AKhilesh Mayawati
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कांग्रेस पहले भी छोड़ चुकी है सपा के लिए सीटें-

पूर्व में भी सपा रायबरेली और अमेठी की सीटों को गांधी परिवार के लिए छोड़ती आई है, लेकिन बसपा अपने प्रत्याशी उतारती रही है, हालांकि इस बार गठबंधन में शामिल होने के बाद बसपा ऐसे नहीं करेगी। कांग्रेस भी पहले से ही सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व उनके परिवार के खिलाफ प्रत्याशी उतारने से बचती रही है। हालांकि सपा-बसपा गठबंधन में शामिल न किए जाने के बाद कांग्रेस प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। लेकिन देखना है कि कांग्रेस नेताओं के हाल ही के बयानों के बाद क्या कुछ सीटों पर पार्टियां दोस्ताना लड़ाई लड़ेगी।

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