UIDAI का निर्णय और उसका प्रभाव
UIDAI ने तकनीकी कारणों से 10 कंपनियों की 19 एल-0 डिवाइस मॉडल्स को निष्क्रिय कर दिया था। UIDAI के इस फैसले के कारण राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत 35,000 से अधिक बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट (बीसी) सखियों का लेन-देन प्रभावित हो गया था। बीसी सखियां राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कार्यरत हैं, जो प्रतिदिन 40 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय लेनदेन करती हैं। UIDAI के आदेश से इन डिवाइस को बंद किया गया, लेकिन उनकी जगह एल-1 डिवाइस का उपयोग शुरू करने के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग और डिवाइस उपलब्ध नहीं थे।
मुख्यमंत्री का संज्ञान और समाधान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जैसे ही इस समस्या की जानकारी मिली, उन्होंने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को तुरंत आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने UIDAI के अधिकारियों से संपर्क किया और समस्या के शीघ्र समाधान की मांग की। उन्होंने अधिकारियों को अवगत कराया कि बीसी सखियां नई एल-1 डिवाइस खरीदने की स्थिति में नहीं हैं और ट्रेनिंग की भी कमी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर UIDAI ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और 6 नवंबर को पुराने एल-0 डिवाइस को पुनः सक्रिय कर दिया, जिससे बीसी सखियों का लेनदेन फिर से प्रारंभ हो सका।
दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम
सीएम योगी के त्वरित निर्णय और संवेदनशीलता की वजह से न केवल बीसी सखियों को राहत मिली, बल्कि पूरे राज्य में डिजिटल वित्तीय सेवाओं को भी फिर से गति मिली। यह मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता और जनहित में तत्परता का प्रमाण है। बीसी सखियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी इस पहल से उन्हें आर्थिक समस्याओं से राहत मिली और राज्य के लाखों ग्रामीण नागरिकों की सेवाएं भी पुनः सुचारू रूप से शुरू हो गईं।