लोकआस्था के महापर्व छठ की तैयारी पूरी, लखनऊ समेत पूरे यूपी में नदी के घाटों पर सजने लगी वेदी
राजधानी लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश मेें खासकर पूर्वांचल में तैयारियां करीब-करीब पूरी हो चुकी हैं। राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के घाट पर वेदी बनायी जाने लगी है। महिलाएँ घर की साफ-सफाई में जुट गयी हैं। इस पर्व में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
लखनऊ. 10 नवंबर को पड़ने वाले छठ महापर्व की तैयारियाँ शुरू हो गयी हैं। राजधानी लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश मेें खासकर पूर्वांचल में तैयारियां करीब-करीब पूरी हो चुकी हैं। राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के घाट पर वेदी बनायी जाने लगी है। महिलाएँ घर की साफ-सफाई में जुट गयी हैं। इस पर्व में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हिन्दू धर्म में उगते सूर्य को अर्घ्य देने की मान्यता है पर ये अकेला ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूरज की भी पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।
छठ माता की महिमा मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने खुद को छह भागों में बाँटा हुआ है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री भी हैं। पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है।
षष्ठी देवी को ही स्थानीय बोली में छठ माता कहा जाता है। हिन्दू धर्म में बच्चे के जन्म के छह दिनों बाद मनाये जाने वाला छठी में भी इन्हीं देवी की पूजा की जाती है। इनकी प्रार्थना से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि छठ माता निःसंतानों को संतान देती हैैं और सभी बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं।
8 नवंबर – नहाय-खाय कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ के साथ होती है और चौथे दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने का साथ ये महापर्व सम्पन्न होता है। इस दिन व्रती चावल-दाल और कद्दू से बने खाने को ग्रहण करते हैं।
9 नवंबर – खरना दूसरे दिन, कार्तिक शुक्ल पंचमी को शाम में मुख्य पूजा होती है. इसे ‘खरना’ कहा जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस या गुड़ में बनी खीर चढ़ाई जाती है। कई घरों में चावल का पिट्ठा भी बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद महिलाएँ 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती हैं।
10 नवंबर – छठ पूजा (अस्ताचलगामी सू्र्य को अर्घ्य) तीसरे दिन, कार्तिक शुक्ल षष्ठी की शाम को नदी या तालाब में खड़े होकर महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देती हैं। 11 नवंबर – व्रत की समाप्ति (उगते सूर्य को अर्घ्य)
चौथे दिन, कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ व्रत की समाप्ति होती है। छठ पूजा के लिए तैयार गोमती के घाट अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया कि राजधानी लखनऊ में छठ पूजा की सभी तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं। घाटों में पर टेंट से लेकर हर चीज का इंतजाम किया जा चुका है। कोरोना को देखते हुए इस बार ये व्यवस्था की गयी है कि घाटों पर वही लोग आएंगे जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हो।
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