इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब कोई जांच एजेंसी किसी मौजूदा जज के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करने जा रही है। हाईकोर्ट के जज जस्टिस शुक्ला पर एक मेडिकल कॉलेज को फायदा पहुंचाने के लिए गलत आदेश देने का आरोप यह है कि जस्टिस शुक्ला ने वाकई सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में विद्यार्थियों के ऐडमिशन की समय सीमा बढ़ा दी थी।
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इस मामले में सीबीआई दर्ज करेगी केस
2017 में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जज जस्टिस शुक्ला ने एक प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज को 2017-18 सत्र के लिए छात्रों का दाखिला लेने की इजाजत दी थी। सीबीआई कभी भी जज जस्टिस शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज कर सकती है। यह मेडिकल कॉलेज एक समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता बीपी यादव और पलाश यादव का है। जब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने इस मेडिकल संस्थान का निरीक्षण किया तो उस दौरान बुनियादी सुविधाएं कम पाई गई। यहां पर मेडिकल की पढ़ाई के मानक पूरे नहीं हो रहे थे। इसके बाद आदेश के तहत प्रसाद इंस्टिट्यूट समेत देश के 46 मेडिकल कॉलेजों में मानक पूरे न करने पर नए प्रवेशों पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाबजूद भी
3 वरिष्ठ जजों की कमेटी ने दी थी गलत आचरण करने की रिपोर्ट
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एडमिशन के लिए तय समय सीमा के बाहर जाकर कॉलेज को दाखिला लेने की अनुमति दी गई थी। जब यूपी के एडवोकेट जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को इसकी जानकारी दी। तब जस्टिस मिश्रा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक आंतरिक जांच कमेटी बनाई और हाईकोर्ट के 3 वरिष्ठ जजों की कमेटी ने पूरे मामले में जस्टिस शुक्ला के जानबूझकर गलत आचरण करने की रिपोर्ट दी। तब तक इस मामले में न्यायपालिका को प्रभावित करने के लिए रिश्वत के आरोप सामने आ चुके थे। जिसके बाद जस्टिस शुक्ला से 22 जनवरी 2018 को उनसे न्यायिक काम ले लिए गए और उन्हें छट्टी पर भेज दिया गया।
2020 में रिटायर होने वाले थे एसएन शुक्ला
हाईकोर्ट के जस्टिस श्री नारायण शुक्ला उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के ही रहने वाले हैं। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (Allahabad University) से एलएलबी करने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। यूपी सरकार में वह अपर महाधिवक्ता भी रहे हैं। 2005 में एसएन शुक्ला को अडिश्नल जज बनाया गया और दो साल बाद उन्हें 2007 में स्थाई जज बनाया गया। वह अगले साल 2020 में रिटायर होने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उन पर भ्रष्टाचार के मामले को लेकर कड़ी कार्रवाई हो गई।