“मैं योगेश वर्मा नहीं, जो थप्पड़ खाकर चुप रहूं”
आशीष पटेल ने अपने पोस्ट में लखीमपुर की एक घटना का जिक्र किया, जहां भाजपा विधायक योगेश वर्मा को एक वकील ने थप्पड़ मारा था। उन्होंने कहा, “साजिश रचने वाले समझ लें, मैं योगेश वर्मा नहीं हूं। मैं अपमान सहकर चुप नहीं बैठूंगा।” उन्होंने विधानसभा परिसर में धरने पर सवाल उठाते हुए कहा कि धरने में शामिल दो बाहरी लोग कौन थे? “जिस विधानसभा परिसर में रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार सकता, वहां दो लोग कैसे पहुंचे? यह साजिश का हिस्सा है।”
पल्लवी पटेल के आरोप और धरना
अपना दल (कमेरावादी) की नेता और सपा विधायक पल्लवी पटेल ने मंत्री पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने व्याख्याताओं की पदोन्नति में धांधली का मुद्दा उठाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने विधानसभा परिसर में धरना भी दिया। पल्लवी पटेल का कहना है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है और इसे जनता के हित में जरूरी कदम बताया।
आरोपों पर पटेल का पलटवार
आशीष पटेल ने पल्लवी पटेल के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने सूचना विभाग के कनिष्ठ अधिकारियों पर भी सवाल उठाए और कहा कि वे मंत्रियों की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “1700 करोड़ रुपये के बजट वाले राज्य के सूचना विभाग का काम सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की जानकारी लोगों तक पहुंचाना है, लेकिन कुछ अधिकारी इसे गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।” मंत्री पटेल ने उठाए गंभीर सवाल
.विधानसभा परिसर में बाहरी लोग कैसे आए? .किस पुलिस अधिकारी ने इन्हें अंदर आने की अनुमति दी? .सूचना विभाग के अधिकारी किसके इशारे पर काम कर रहे हैं?
राजनीतिक असर और भविष्य की राजनीति
पल्लवी पटेल और आशीष पटेल के बीच यह विवाद केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि इसका असर उत्तर प्रदेश की राजनीति में देखने को मिलेगा। भाजपा के लिए यह विवाद सपा और अपना दल (कमेरावादी) के संबंधों को कमजोर करने का अवसर हो सकता है।