वो जेआरडी टाटा की ‘लक्ष्मी’ थी जिसे दुनिया ‘Lakme’ के नाम से जानती है
क्या आप जानते हैं कि लैक्मे पहले लक्ष्मी थी जिसका नाम 1966 में लैक्मे कर दिया गया। चलिए आपको वो रोचक किस्सा बताते हैं जिसने लैक्मे को लैक्मे बनाने का कमाल दिखाया। पंडित जवाहर लाल नेहरू का वो आइडिया जो आज दुनिया का नामी ब्राण्ड बन चुका है।
उत्तर प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा बड़ा शहर हो जहाँ लैक्मे के सैलून न हों। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों में तो तकरीबन हर बड़ी कॉलोनी में आपको लैक्मे कंपनी का सैलून मिल जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लैक्मे पहले लक्ष्मी थी जिसका नाम 1966 में लैक्मे कर दिया गया। चलिए आपको वो रोचक किस्सा बताते हैं जिसने लैक्मे को लैक्मे बनाने का कमाल दिखाया। पंडित जवाहर लाल नेहरू का वो आइडिया जो आज दुनिया का नामी ब्राण्ड बन चुका है।
1952 में लॉन्च सन् 1952 में लैक्मे को लॉच किया गया था। जिसका श्रेय जाता है जेआरडी टाटा को। साल 1950 तक मध्यम वर्ग की महिलाएं खुद को संवारने के लिए होम ब्यूटी प्रोडेक्ट बनाती थीं और उन्हीं से काम चलता था। जो महिलाएं सम्पन्न थीं वे अपने लिए विदेशों से ब्यूटी प्रोडेक्ट मंगवाया करती थीं। उस वक्त भारतीय पैसों का विदेश जाने का एक मुख्य कारण ये भी था।
पंडित नेहरू का आइडिया देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उन दिनों देश के औद्योगिक विकास पर लगातार नयी-नयी सोच पर काम कर रहे थे। तभी उन्हें भारतीय ब्यूटी ब्रांड शुरू करने का आइडिया आया। आइडिया ऐसा जो आज करीब 2000 करोड़ रुपये का ब्राण्ड बन चुका है। चूंकि भारत का अपना कोई ब्यूटी ब्रांड नहीं था इसलिए उम्मीद थी कि अगर यह बजट फ्रेंडली हुआ तो लोग हाथों हाथ इसे खरीदेंगे और कोई काम्पटीशन भी नहीं होगा।
आखिरकार उन्होंने अपना आइडिया जेआरडी टाटा के साथ साझा किया। उद्योगों की चेन तैयार करने में टाटा माहिर थे। ये आइडिया उन्हें जम गया और ऐसे शुरूआत हुई लैक्मे की। लेकिन ब्रांड के नाम पर तब भी काफी मंथन हुआ. आज हम जिस लैक्मे की बात कर रहे हैं असल में उसका शुरूआती नाम लक्ष्मी था।
बॉलीवुड की टॉप अभिनेत्रियों ने किया विज्ञापन लक्ष्मी के विज्ञापन उस समय के हिन्दी फिल्मों की सुपर स्टार अभिनेत्रियाँ जैसे रेखा, हेमा मालिनी, जया प्रदा करती थीं। लक्ष्मी के लॉन्च होने के बाद से भारत में विदेशी ब्यूटी प्रोडेक्ट की माँग बेहद कम होने लगी और फिर धीरे-धीरे बन्द हो गयी। फिल्मों की शूटिंग में भी मेकअप के लिए लक्ष्मी के ब्यूटी प्रोडेक्ट का इस्तेमाल किया जाने लगा। धीरे-धीरे इस ब्रांड ने आम जनता के मन में अपना विश्वास जमा लिया।
कीमत ज्यादा नहीं खास बात ये थे कि ब्रांड की कीमत बहुत ज्यादा नहीं रखी गई। ताकि इसका इस्तेमाल आम महिलाएं भी कर सकें। टाटा की सोच का नतीजा ही था कि लक्ष्मी को केवल 5 सालों के भीतर ही वो मुकाम मिल गया, जहां पर यह आज भी काबिज है।
जब हिन्दी की ‘लक्ष्मी’ हुई फ्रेन्च में ‘Lakme’ किन्हीं वजहों से 1966 तक जेआरडी टाटा ने ‘लक्ष्मी’ को बेचने का फैसला किया। कई नामचीन कंपनियों ने इस ब्रांड को अपने खाते में करने के लिए बोली लगायी। लेकिन बाजी मारी हिन्दुस्तान लीवर ने। इसके बाद 1966 में लक्ष्मी हिन्दुस्तान लीवर की हो गई और यहां से ब्रांड का नाम भी बदल दिया गया। नया नाम था- लैक्मे। असल में लैक्मे फ्रेंच शब्द है। जिसका अर्थ होता है लक्ष्मी। यानि लक्ष्मी वही रही बस उनका नाम बदलकर फ्रेंच भाषा में पुकारा जाने लगा।
फिर रचा इतिहास… लैक्मे ने ब्रांड के तौर पर खुद को स्थापित किया। इसके ब्यूटी प्रोडेक्ट तो पसंद किए ही गए लेकिन आगे चलकर युवाओं को ब्यूटी के बारे में और ज्यादा जानकारी मिल सके इसलिए लैक्मे ने फैशन कोर्स की शुरूआत की। इसके साथ ही पूरे देश में लैक्मे पार्लर की शुरूआत भी हुई। लैक्मे के ब्यूटी प्रोडेक्ट की डिमांड विदेशों में भी है। लैक्मे आज 1900 करोड़ का सफलतापूर्वक व्यवसाय करने वाली भारत की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा प्रभावशाली कंपनी बन चुकी है।
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