सफेदा का पेड़ लाभदायक होने के साथ-साथ कम खर्चीला होता है, जिसकी वजह से इसको उगाना और देखभाल करने पर ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह पेड़ सिर्फ लंबाई में बढ़ता है, जिसकी वजह से इसे उगाने के लिए चौड़ी जगह की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में कम जमीन और पैसों में पर सफेदा के पेड़ की खेती शुरू की जा सकती है। इस पेड़ को उगाने वाला व्यक्ति बिना मेहनत किए साल भर में लखपति बन जाता है। तो आइए जानते हैं इस खास पेड़ के बारे में-
लागत कम मुनाफा ज्यादा यूकलिप्टस के खेती करने में बहुत ही कम लागत लगती है और खर्च भी बहुत कम होता है। यह एक सस्ती फसल है जो कि बहुत अधिक मुनाफा देती है। बता दें कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में यूकेलिप्टस के 3000 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। यह पौधे नर्सरी से बहुत ही आसानी से 7 या 8 रुपए में ही मिल जाते हैं। इस अनुमान से इसकी खेती में 21 हजार रुपयों का खर्च आता है। यदि अन्य खर्चों को भी इसमें मिला लिया जाए तो यह 25 हजार तक पहुँच सकता है। 25 हजार की लागत में यह फसल तैयार हो जाती है और केवल 5 साल की अवधि के बाद ही हर एक यूकलिप्टस का पेड़ 400 किलो लकड़ी प्रदान करता है।
5 साल में 60 लाख रुपये का मुनाफा यदि 3000 पेड़ की लड़कियों की बात करें तो 5 साल बाद इस खेती से 1200000 किलो लकड़ी मिलेगी। बाज़ार में यूकलिप्टस की लकड़ी 6 रुपए प्रति एक किलो के भाव से बिकती है। तो प्राप्त सारी लकड़ी का 72 लाख रुपए आसानी से प्राप्त हो जा सकता है। यदि इसमें से लागत निकाल देते हैं तो यूकेलिप्टस की खेती से 5 साल की अवधि में 60 लाख रुपए का मुनाफा प्राप्त हो सकता है।
कहीं भी उगाया जा सकता है यूकेलिप्टस यूकेलिप्टस का पेड़ उगाने के लिए किसी भी विशेष तरह की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। यह पेड़ हर तरीके की जलवायु में सहज रूप से ही विकसित होता है। इसलिए इस पेड़ को किसी भी तरह की जमीन पर और कहीं भी आसानी से उगाया जा सकता है। इतना ही नहीं यह पेड़ किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है और इसकी खेती के लिए हर मौसम उपयुक्त माना जाता है। यूकलिप्टस के पेड़ काफी ऊंचे होते हैं। इन पेड़ों की ऊंचाई 30 मीटर से लेकर के 90 मीटर तक की होती है। यूकलिप्टस का पेड़ सिधाई में ही बढ़ता है।
ऐसे करें सफेदा की खेती यूकलिप्टस की अच्छी फसल लगाने के लिए खेत को काफी गहराई तक अच्छे से जुताई की जाता है। इसके बाद इस खेत को पाट करके समतल किया जाता है। समतल किए गए खेत में यूकलिप्टस के पौधों रोपने के लिए गड्ढों को तैयार किया जाता है और फिर इन गड्ढों में गोबर की खाद का इस्तेमाल करके इन्हें अच्छा उपजाऊ बनाया जाता है। खाद डालने के बाद गद्दों की सिंचाई कर दी जाती है और पौधों को रोपने से 20 दिन पहले ही इन गड्ढों को तैयार कर लिया जाता है। उसके बाद 5 फीट की दूरी पर इन पौधों को रोपा जाता है।
इस मौसम में करें रोपाई यूकलिप्टस के पौधों को नर्सरी में ही तैयार कर लिया जाता है। खेती के लिए इन पौधों को नर्सरी से ही लाया जाता है और इसके बाद इन पौधों की रोपाई की जाती है। यूकलिप्टस के पौधों की रोपाई करने के लिए बारिश ही सबसे उपयुक्त मौसम होता है। क्योंकि ऐसा करने से इन पौधों को प्रारम्भिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि बारिश से पहले रोपाई की गई है पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद ही करनी पड़ती है।
40 से 50 दिनों के अंतराल पर सिंचाई बारिश के मौसम में यूकलिप्टस के पौधों को 40 से 50 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता पड़ती रहती है। 40 से 50 दिन में इन पौधों को पानी चाहिए होता है। लेकिन मौसम सामान्य होने पर यूकलिप्टस के पौधे को 50 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए। यदि आप इस पौधे की खेती करने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखें कि यूकलिप्टस के पौधे को खरपतवार से बचना बहुत आवश्यक होता है। बारिश के मौसम में तीन से चार बार गुड़ाई की आवश्यकता होती है। इस दौरान पौधे के आस पास उगने वाले खरपतवार को नष्ट कर देना चाहिए।
बता दें कि यूकलिप्टस के पौधे (Eucalyptus Plant) को पूरी तरह से बड़े और तैयार होने में 8 से 10 वर्ष का समय लग जाता है। यूकलिप्टस के पौधों की 6 प्रजातियाँ भारत में आसानी से उगाई जाती हैं। यह हैं यूकलिप्टस निटेंस, यूकलिप्टस आब्लिकवा, यूकलिप्टस विमिनैलिस, यूकलिप्टस डेलीगेटेंसिस, यूकलिप्टस ग्लोब्युल्स, एवं यूकलिप्टस डायवर्सिकलर।