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Climate Change : मानसून पैटर्न में बदलाव थार रेगिस्तान को बना सकता है हरा-भरा

Climate Change- ग्लोबल वार्मिंग की वजह से चेरापूंजी में कम हो रही बारिश

लखनऊJun 09, 2021 / 06:21 pm

Hariom Dwivedi

BSIP Lucknow and JNU Delhi study over Climate change
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. भारत में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का तेजी से असर दिखना शुरू हो गया है। ग्लोबल वार्मिंग की यही रफ्तार रही तो राजस्थान के थार मरुस्थल और गुजरात के एक हिस्से में भारी बारिश से यह इलाका आने वाले समय में हरा-भरा हो सकता है। और देश में सर्वाधिक वर्षा वाले क्षेत्र चेरापूंजी में धीरे-धीरे कम बारिश होने लगेगी। ग्लोबल वार्मिंग पर यह रिपोर्ट बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (Birbal Sahni Institute of Palaeosciences) (BSIP) लखनऊ और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, (JNU) नयी दिल्ली के द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन के बाद तैयार की गयी है। जिसमें कहा गया है कि मानसून पैटर्न में तेजी से बदलाव हो रहा है।
2000 से 2020 का दशक 130 सालों में सर्वाधिक गर्म
प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका, ‘क्लाइमेट डायनेमिक्स’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत में हवा का तापमान वर्ष 2000-2020 से असामान्य रूप से गर्म रहा है, जिससे यह अवधि पिछले 130 वर्षों में सबसे गर्म रही है। इस जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप मानसून राजस्थान और गुजरात की ओर बढ़ रहा है जिससे दोनों राज्यों में लगातार बाढ़ आ रही है और सभी स्थानों पर अनियमित वर्षा की घटनाएं हो रही हैं। अध्ययन करने वाली टीम के तीन वैज्ञानिकों में बीएसआईपी से राजेश अग्निहोत्री और जेएनयू से पीएम महाराणा और एपी डिमरी ने हाल के दशकों में भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान और नमी वितरण में परिवर्तन के विकासशील पैटर्न की जांच की। टीम ने अपने अध्ययन में भारत में कुछ नया “गर्म और ठंडा” क्षेत्र पाया तो कुछ “गीला और सूखा” क्षेत्र। वैज्ञानिकों के अनुसार यह अध्ययन वैश्विक जलवायु परिवर्तन की पहले की धारणा का भी खंडन करता है, जिसमें कहा गया था कि ग्लोबल वार्मिंग गीले क्षेत्रों को गीला और शुष्क क्षेत्रों को शुष्क बना देगा।
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ऐसे हुआ अध्ययन
अध्ययन में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, डेलावेयर विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण केंद्र, वायुमंडलीय अनुसंधान के राष्ट्रीय केंद्र, जैसे विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों से उपलब्ध भारत में बारिश और तापमान के मासिक डेटा का विश्लेषण किया गया। डेटा के प्रसंस्करण और विश्लेषण के बाद निष्कर्ष निकला कि भारत में ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव पूरे देश में समान रूप से वितरित नहीं है। बल्कि यह क्षेत्र के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है।
उत्तरी राजस्थान तेजी से हो रहा गर्म
वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेश अग्निहोत्री के अनुसार निष्कर्ष निकला कि भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान और नमी वितरण हाल के दशकों में वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ बदल रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तरी राजस्थान, जम्मू और पंजाब के क्षेत्र तेज गति से गर्म हो रहे हैं, जबकि ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तटीय आंध्र क्षेत्र अपेक्षाकृत ठंडे हो रहे हैं। जेएनयू के पर्यावरण विज्ञान स्कूल के प्रोफेसर एपी डिमरी ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में चेरापूंजी जैसे स्थानों पर बारिश में गिरावट देखी गई है, जबकि गुजरात और दक्षिणी राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि हुई है।

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