अखिलेश यादव के सामने हैं ये बड़ी चुनौतियां, निपटे बिना नहीं पार होगी सपा की नैया
सपाइयों पर से अभी उपचुनाव की खुमारी नहीं उतरी!सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले रोज 50 किमी साइकिल चलाकर योगी सरकार की पोल खोलने की बात कही थी। वे यह कह रहे हैं कि सपाई साइकिल चलाएंगे तो ही लोकसभा चुनाव में जीतेंगे। बावजूद इसके अभी वह ट्विटर पर ही सक्रिय हैं। सूबे के घटनाक्रम पर वह पल-पल नजर बनाए हुए हैं, लेकिन जवाब अखिलेश ट्विटर पर देते हैं। छोटी-बड़ी कोई घटना हो, अखिलेश के ट्विटर हैंडल पर थोड़ी ही देर में प्रतिक्रिया आ जाती है। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अखिलेश यादव को जनता के बीच जाना चाहिये, जो अभी तक समाजवादियों की ताकत रही है। लेकिन लगता है कि समाजवादी पार्टी के नेताओं पर से अभी उपचुनावों में जीत की खुमारी नहीं उतरी है। इसलिए वे गर्मी और बारिश से दूर एसी कमरों में बैठकर राजनीति कर रहे हैं।
बीजेपी भले ही यूपी में जोर-शोर से चुनावी अभियान में जुटी हो, लेकिन मायावती अभी प्रेस विज्ञप्तियों में ही सक्रिय हैं। जमीनी स्तर पर बसपा ने अभी चुनाव प्रचार नहीं शुरू किया है। बीजेपी पर निशाना साधने के लिये मायावती प्रेस विज्ञप्ति या फिर प्रेसवार्ता का सहारा ले रही हैं। राजनीतिक जानकार मायावती की इस सुस्ती की वजह उनका जातीय गणित पर भरोसा बता रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि अभी सपा और कांग्रेस से गठबंधन की बातें चल रही हैं, जिसके चलते बसपाई जमीनी स्तर पर चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं। जैसे ही एक बार गठबंधन की स्थिति फाइनल हो गई बसपाई चुनाव प्रचार को निकलेंगे। इसके अलावा मायावती को नसीमुद्दीन सिद्दीकी और स्वामी प्रसाद मौर्या जैसे जमीन से जुड़े नेताओं की कमी भी खल रही है।
अखिलेश यादव की फसल काटने की तैयारी में मायावती!
कांग्रेस के पास जमीनी कार्यकर्ता नहींकांग्रेस पार्टी में सिर्फ राहुल गांधी ही सक्रिय नजर आते हैं। वह भाजपा सरकार पर निशाना साध रहे हैं, मौका मिलने पर वे जनता के बीच भी जा रहे हैं। लेकिन कांग्रेसी नेता अभी भी दफ्तरों में टीवी देखकर ही समय काट रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर व जितिन प्रसाद जरूर कभी-कभार धरना-प्रदर्शन करते देखे जाते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पास अभी जमीनी स्तर की न तो कोई टीम है और न ही सक्रिय कार्यकर्ता, जिसके चलते कांग्रेसियों की दिनचर्या दफ्तरों तक ही सीमित है।