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लखनऊ

जनता का दिल जीत रही भाजपा, सपा-बसपा और कांग्रेस का अब तक जनता से सीधा जुड़ाव नहीं

लोकसभा चुनाव में अब साल भर से भी कम वक्त बचा है, ऐसे में सभी दलों की नजर उत्तर प्रदेश पर है…

लखनऊJul 22, 2018 / 02:48 pm

Hariom Dwivedi

lok sabha chunav preparation

जनता का दिल जीत रही भाजपा, सपा-बसपा और कांग्रेस का अब तक जनता से सीधा जुड़ाव नहीं

हरिओम द्विवेदी
लखनऊ. लोकसभा चुनाव में अब साल भर से भी कम वक्त बचा है। ऐसे में सभी दलों की नजर उत्तर प्रदेश पर है। बीजेपी पूरे दमखम के साथ चुनावी माहौल बनाने में जुटी है, लेकिन विपक्षी दलों की तैयारी अभी सुस्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदियत्नाथ सूबे में एक के बाद एक रैलियां कर मिशन 2019 में जीत का माहौल बना रहे हैं। वहीं, 50 किलोमीटर रोजाना साइकिल चलाने की बात करने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अभी ट्विटर पर ही सक्रिय हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती विज्ञप्तियों और प्रेसवार्ता में व्यस्त हैं और कांग्रेसी दफ्तरों में समय काट रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव में हार को काफी गंभीरता से लिया है। इसलिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता के बीच जा रहे हैं। वे अरबों की योजनाओं का शिलान्यास व लोकापर्ण कर मिशन 2019 की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। विकास योजनाओं की शुरुआत कर वे विपक्षी दलों पर निशाना तो साध ही रहे हैं, साथ ही सरकार की उपलब्धियों का भी खूब गुणगान कर रहे हैं। बीजेपी ने चुनाव में जीत के लिये 51 फीसदी वोटर्स को भाजपाई खेमे में लाने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिये वे दिन-रात एक कर रहे हैं।
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सपाइयों पर से अभी उपचुनाव की खुमारी नहीं उतरी!
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले रोज 50 किमी साइकिल चलाकर योगी सरकार की पोल खोलने की बात कही थी। वे यह कह रहे हैं कि सपाई साइकिल चलाएंगे तो ही लोकसभा चुनाव में जीतेंगे। बावजूद इसके अभी वह ट्विटर पर ही सक्रिय हैं। सूबे के घटनाक्रम पर वह पल-पल नजर बनाए हुए हैं, लेकिन जवाब अखिलेश ट्विटर पर देते हैं। छोटी-बड़ी कोई घटना हो, अखिलेश के ट्विटर हैंडल पर थोड़ी ही देर में प्रतिक्रिया आ जाती है। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अखिलेश यादव को जनता के बीच जाना चाहिये, जो अभी तक समाजवादियों की ताकत रही है। लेकिन लगता है कि समाजवादी पार्टी के नेताओं पर से अभी उपचुनावों में जीत की खुमारी नहीं उतरी है। इसलिए वे गर्मी और बारिश से दूर एसी कमरों में बैठकर राजनीति कर रहे हैं।
विज्ञप्तियों में सक्रिय हैं मायावती
बीजेपी भले ही यूपी में जोर-शोर से चुनावी अभियान में जुटी हो, लेकिन मायावती अभी प्रेस विज्ञप्तियों में ही सक्रिय हैं। जमीनी स्तर पर बसपा ने अभी चुनाव प्रचार नहीं शुरू किया है। बीजेपी पर निशाना साधने के लिये मायावती प्रेस विज्ञप्ति या फिर प्रेसवार्ता का सहारा ले रही हैं। राजनीतिक जानकार मायावती की इस सुस्ती की वजह उनका जातीय गणित पर भरोसा बता रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि अभी सपा और कांग्रेस से गठबंधन की बातें चल रही हैं, जिसके चलते बसपाई जमीनी स्तर पर चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं। जैसे ही एक बार गठबंधन की स्थिति फाइनल हो गई बसपाई चुनाव प्रचार को निकलेंगे। इसके अलावा मायावती को नसीमुद्दीन सिद्दीकी और स्वामी प्रसाद मौर्या जैसे जमीन से जुड़े नेताओं की कमी भी खल रही है।
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कांग्रेस के पास जमीनी कार्यकर्ता नहीं
कांग्रेस पार्टी में सिर्फ राहुल गांधी ही सक्रिय नजर आते हैं। वह भाजपा सरकार पर निशाना साध रहे हैं, मौका मिलने पर वे जनता के बीच भी जा रहे हैं। लेकिन कांग्रेसी नेता अभी भी दफ्तरों में टीवी देखकर ही समय काट रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर व जितिन प्रसाद जरूर कभी-कभार धरना-प्रदर्शन करते देखे जाते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पास अभी जमीनी स्तर की न तो कोई टीम है और न ही सक्रिय कार्यकर्ता, जिसके चलते कांग्रेसियों की दिनचर्या दफ्तरों तक ही सीमित है।
अब तक का राजनीतिक माहौल तो यही है कि सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा जनता के बीच ज्यादा सक्रिय है। सरकारी योजनाओं को जनता के बीच ले जा रहे हैं, इसलिए बीजेपी बढ़त बनाये हुए है। सपा, कांग्रेस और बसपा को जनता का दिल जीतने के लिए उनके बीच जाना होगा। किसानों, बेरोजगारों और आमजन के मुद्दों को उठाना होगा।

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