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लखनऊ

हिंदी की समझ नहीं पाते बिंदी और बन गए डाक सेवक, छह पर केस दर्ज

Dak Sevak Recruitment Scam:हिंदी भी सही ढंग से नहीं लिख पाने के बाद संदेह के घेरे में आए छह डाक सेवकों के खिलाफ उत्तराखंड में मुकदमा दर्ज हुआ है। इससे डाक सेवक भर्ती प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में आ गई है। इससे पूर्व यूपी में भी 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

लखनऊOct 04, 2024 / 10:36 am

Naveen Bhatt

A case has been registered against six postal servants for not being able to write Hindi

उत्तराखंड में छह डाक सेवकों पर मुकदमा दर्ज हुआ है

Dak Sevak Recruitment Scam:हिंदी की बिंदी तक नहीं समझ पाने के बावजूद विभिन्न राज्यों के छह लोग उत्तराखंड में डाक सेवक पद पर नियुक्त हो गए। दरअसल, डाक विभाग की ओर से राज्य के लिए ब्रांच पोस्ट मास्टर और असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर के 1200 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। मेरिट पर हुई भर्ती में अधिकतर अभ्यर्थी पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के हैं। इस भर्ती से उत्तराखंड में डाक सेवक की नौकरी पाए कुछ कर्मचारी संदेह के घेरे में आ गए हैं। हालात ये हैं कि जिन्हें शुद्ध तरीके से हिंदी लिखनी या पढ़नी तक नहीं आती वह यहां पर डाक सेवक पद पर आसीन हो गए हैं। बताया जा रहा है कि राज्य में इस प्रकार के सैकड़ों डाक सेवकों की तैनाती हुई है। विभागीय जांच में अभी तक छह डाक सेवक पकड़े जा चुके हैं, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। डाक सेवाओं के निदेशक अनसूया प्रसाद चमोला के मुताबिक शुरुआती जांच में चमोली और अल्मोड़ा में तीन-तीन डाक सेवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी अयोग्य को डाक सेवक पद पर नहीं रखा जाएगा।

सभी विषयों में ‘ए++’ ग्रेड

हिंदी नहीं लिख पाने वाले जिन डाक सेवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है उन्हें हिंदी सहित सभी विषयों में ‘ए++’ ग्रेड मिला था। ये ग्रेड उन्हें हरियाणा बोर्ड ने 10वीं में दिए थे। उन्हें हिंदी ही नहीं अन्य विषयों में भी ए++ ग्रेड दिया गया था। उन्हें हिंदी के सामान्य शब्द भी लिखने नहीं आते। भर्ती प्रक्रिया में बड़ा गड़बड़झाला सामने आने से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
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मैरिट पर भी सवाल

डाक विभाग की ओर से प्रदेश के लिए ब्रांच पोस्ट मास्टर और असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर के 1200 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। मेरिट पर हुई भर्ती में अधिकतर अभ्यर्थी पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे कि जिसे हिंदी तक लिखनी नहीं आती, ऐसे अभ्यर्थियों का चयन कैसे हो गया। बड़ी बात ये है कि उत्तराखंड के भी हजारों युवाओं ने इन पदों पर आवेदन किया था, लेकिन उनमें से एक का नाम भी मैरिट सूची में नहीं आ पाया। लोग इस भर्ती प्रक्रिया को सीधे तौर पर सवालों के घेरे में खड़ा करने लगे हैं।

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