जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) 18 मंजिला ऊंची इमारत है। सपा सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसकी संशोधित डीपीआर की पूरी फाइल गायब हो जाने से मामले की जांच प्रभावित हो रही है। जेपी एनआईसी के निर्माण में 2017 में जांच बैठा दी गई थी। फाइल न मिलने से जांच कमेटी अपना कार्य नहीं कर पा रही है। ऐसे में अपर मुख्य सचिव ने एलडीए उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी को पत्र भेज कर एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश दिए है।
साल 2013 में शुरू हुआ था जेपीएनआईसी का निर्माण
जेपी एनआईसी का निर्माण साल 2013 में शुरू हुआ था। वर्ष 2016 में यह तैयार हो गया। नोएडा की आर कॉम कंसल्टेंट को आर्किटेक्ट का जिम्मा दिया गया था। आरोप है कि उस समय तैनात अधिकारियों और इंजीनियरों ने स्वीकृत डीपीआर से अलग कई काम, फेरबदल करा दिए थे। इस कारण लागत 864 करोड़ पहुंच गई थी। सरकार बदली तो मामले की जांच शुरू हुई। जांच समिति ने पहला और संशोधित डीपीआर मांगा था। एलडीए की ओर से काफी समय तक कोई जवाब कमेटी को नहीं दिया गया। बाद में फिर पूछताछ हुई तो बताया कि डीपीआर ही गायब है। अब अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने वीसी को इस संबंध में मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
लागत 925 करोड़ से अधिक पहुंचेगी
एलडीए ने वर्ष 2023 में जेपी एनआईसी के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए प्रयास शुरू किए थे। एलडीए की टीम ने नए सिरे से इसका सर्वेक्षण भी कर लिया है। अधूरे कार्यों को करने के लिए करीब 61 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी जो शासन से मांगे गए हैं। ऐसे में इसकी लागत बढ़कर 925.42 करोड़ रुपये पहुंच जाएगी। बहरहाल जेपीएनआईसी की डीपीआर गायब होने से प्रशासन में हड़कंप मचा है। अपर मुख्य सचिव ने एलडीए के वीसी पर संबंधित स्टाफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।