ये भी पढ़ें- अखिलेश यादव ने कहा – 2022 में जनता भाजपा सरकार के जनविरोधी कामों का पूरा हिसाब लेगी फैसले की 10 बड़ी बातें-1. ढांचा गिराने की घटना अचानक हुई थी, इसमें को साजिशन नहीं थी।
2. ढांचा गिराने में किसी भी तरह की साजिश के सबूत नहीं मिले है।
3. अज्ञात लोगों ने विवादित ढांचा गिराया था। जिन्हें आरोपी बनाया गया है, उनका इस घटना से लेना-देना नहीं।
4. सीबीआई 32 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश करने में नाकाम रही है।
5. गवाहों के बयान कहते हैं कि कारसेवा के लिए जुटी भीड़ की नीयत बाबरी ढांचा गिराने की नहीं थी।
6. अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि अंदर मूर्तियां थीं।
ये भी पढ़ें- यूपी में एक दिन में आए 4069 मामले, सीएम योगी करेंगे एल-2 लेवल के 7 अस्पतालों का शुभारम्भ 7. विवादित जगह पर रामलला की मूर्ति मौजूद थी, इसलिए कारसेवक उस ढांचे को गिराते तो मूर्ति को भी नुकसान पहुंचता। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था।
8. अखबारों में लिखी खबरों को सबूत नहीं माना जा सकता।
9. सबूत के रूप में कोर्ट को सिर्फ फोटो और वीडियो पेश किए गए। जो की टेम्पर्ड थे। उनके बीच-बीच में खबरें थीं, इसलिए इन्हें भरोसा करने लायक सबूत नहीं मान सकते। 10. चार्टशीट में तस्वीरें पेश की गईं, लेकिन इनमें से ज्यादातर के निगेटिव कोर्ट को मुहैया नहीं कराए गए। इसलिए फोटो भी प्रमाणिक सबूत नहीं हैं।