AKTU दीक्षांत समारोह: जानें क्या हैं इन टॉपर्स के ड्रीम करियर
लखनऊ. एक दौर था जब इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर छात्र आईटी कंपनियों में नौकरियां करना पसंद करते थे लेकिन अब ट्रेंड बदल रहा है। अब छात्र बीटेक के बाद मिल रही नौकरी के बजाए सिविल सर्विसेज या दूसरी सरकारी नौकरियों की ओर रुझान रख रहे हैं। दरअसल शुक्रवार को डॉ.अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के 16वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया जिसमें टॉपर्स को मेडल से सम्मानित किया गया। इस दौरान अधिकतर टॉपर्स का कहना था कि वह जॉब के बजाए वह सरकार नौकरी की तैयारी करना चाहते हैं।
67 मेधावियों को मिले पदक दीक्षांत समारोह में यूनिवर्सिटी से संबद्ध प्रदेश के सभी छह सौ संस्थानों के छात्र-छात्रों ने हिस्सा लिया। यहां के 67 मेधावियों को स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक देकर सम्मानित किया गया। इसमें एक मेधावी को कुलपति पदक से नवाजा गया। वहीं कुल 61 हजार 690 छात्र-छात्राओं को उपाधियां दी गई। इसके अलावा 59 शोधार्थियों को भी उपाधि प्राप्त हुई।
सरकारी नौकरी समय की मांग सिविल इंजीनियरिंग में टॉप करने वाले उत्कर्ष मिश्रा ने बताया कि उनका प्लेसमेंट एक कंपनी में हुआ लेकिन पैकेज कम होने के कारण उन्होंने वहां जॉइन नहीं किया। वह इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज (आईईएस) की तैयारी कर रहे हैं। उनके मुताबिक सरकार नौकरी ज्यादा सुरक्षित है। इसमें मंदी का असर भी नहीं पड़ता।दीक्षांत समारोह में कानपुर की प्रीति गुप्ता को कुलपति पदक से नवाजा गया। प्रीति ने बताया कि उनके परिवार में कई इंजीनियर हैं। यही कारण है कि उन्होंने बीटेक की पढ़ाई की लेकिन वह आगे चलकर जॉब की बजाए अकेडमिक्स में जाना चाती हैं।
नौकरी और पढ़ाई पर फोकस बैचलर इन फैशन एंड एप्रैल डिजाइनिंग की टॉपर अंचिता धीर ने बताया कि भले ही उन्होंने इस ट्रेड में मेडल जीता हो लेकिन वह अपना करियर फाइन आर्ट्स में बनाना चाहती हैं। खासतौर पर स्कल्पटिंग पर उनका फोकस है। वह कई फैशन हाउस के साथ काम भी कर चुकी हैं लेकिन फिलहाल वह जॉब के बजाए आगे की पढ़ाई पर फोकस करना चाहती हैं।
वहीं एमबीए में ब्रॉन्ज़ मेडल पाने वाली छवि सारस्वत ने बताया वह बैंक में जॉब कर रही हैं। ये जॉब उन्हें कॉलेज प्लेसमेंट में मिली थी। हांलांकि आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने का प्लान है। वह भी अकेडमिक्स में अपना करियर बनाना चाती हैं।
पिता हैं किसान, बेटे ने किया कमाल इस बार एकेटीयू में किसानों के बेटों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई में अव्वल दर्जा हासिल किया। एक ने रजत तो दूसरे ने कास्य पदक प्राप्त किया। बहराइच के रहने वाले प्रिंस बाबू मिश्रा ने बीटेक सिविल इंजीनियरिंग में रजत पदक हासिल किया है। प्रिंस के पिता सुरेश चंद्र किसान हैं। वह खेती के साथ एक टेंट की भी दुकान करते हैं। प्रिंस ने बताया कि आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से पढ़ाई में काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन उसने लगन से अपना काम किया और मुकाम पाया है। प्रिंस भविष्य में आईएएस बनना चाहते हैं, जिसकी तैयारी वह कर रहे हैं।
किसानों के लिए कुछ करने का संकल्प सीतापुर के मिश्रिख निवासी सुशांत मिश्रा ने भी कमाल करके दिखाया है। सुशांत को कास्य पदक मिला है। उन्होंने बीटेक एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी की है। उनके पिता राजपाल मिश्रा पेशे से किसान हैं और मां सरोजनी मिश्रा गृहणी है। सुशांत बताते हैं कि उनके पूरे घर का खर्च कृषि पर ही निर्भर है। हालांकि उन्होंने हाल में कृषि मित्र में नौकरी शुरू की है। सुशांत का कहना है कि भविष्य में खेती को आधुनिक तकनीकियों से जोड़कर उसमें बदलाव करना चाहते हैं। जिससे किसानों की आय बढ़ सके।
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