कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि आप मजदूरों की मदद करने के लिए तैयार नहीं हो। आप उनके परिवार को कोई सुरक्षा कवच नहीं दे रहे। अब आप उनके अधिकारों को कुचलने के लिए कानून बना रहे हो। मजदूर देश निर्माता हैं, आपके बंधक नहीं हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा मजदूरों को शोषण से बचाने वाले ‘श्रम-कानून’ के अधिकांश प्रावधानों को तीन वर्ष के लिए स्थगित कर दिया है। ये बेहद आपत्तिजनक और अमानवीय है। श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली गरीब विरोधी भाजपा सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देश में गरीब, मजदूर, कामगार तथा श्रमिकों की स्थिति बेहद खराब है। यूपी सरकार के श्रम कानून को निलंबित करने असर का श्रमिकों पर पड़ेगा। कोरोना प्रकोप में मजदूरों/श्रमिकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे आठ के स्थान पर 12 घण्टे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुन: देश में लागू करना अति-दु:खद व दुर्भाग्यपूर्ण। उन्होंने कहा कि श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिये न कि कभी भी उनके अहित में।
उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि घड़ियाली आंसू बहाने वाले पहले अध्यादेश पढ़ लें, फिर कोई टिप्पणी करें। कहा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी श्रमिकों की सबसे बड़ी दुश्मन हैं क्योंकि वे उन श्रमिकों का विरोध कर रही हैं, जिनके लिए निवेश के माध्यम से रोजगार तलाशने की प्रक्रिया चल रही है। मौर्य ने कहा कि वे (विपक्ष) उन श्रमिकों का विरोध कर रहे हैं, जिनके लिए हम लॉकडाउन के चलते बंद उद्योग-कारखानों में पुन: समायोजित करने के लिए अवसर प्रदान करने जा रहे हैं। जो श्रमिकों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, उनको शायद नहीं पता कि हमने नए निवेश के रास्ते खोलते वक्त श्रमिकों के हितों का ध्यान रखा गया है।