यूपी में रोडवेज बसों का सफर होगा महंगा, जानिए कितना बढ़ा किराया
इस्लाम के अनुरूप नहीं है, इसलिए यदि संभव हो तो मस्जिद प्रशासन को मस्जिद के परिसर के भीतर दोनों के लिए अलग कतार की व्यवस्था करनी चाहिए। बोर्ड ने कहा, इस्लाम के धार्मिक ग्रंथों में नमाज अदा करने के लिए महिलाओं को मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति है।विदेशी मेहमानों के स्वागत में सजाया जा रहा नवाबों का शहर लखनऊ, बदली जा रही रंगत
मार्च में होगी सुनवाई : फरहा अनवर फरहा अनवर हुसैन शेख ने 2020 में शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर कहा कि भारत में मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी अवैध और असंवैधानिक है। महिलाओं को भी नमाज के लिए मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति दी जाए। मामले में शीर्ष अदालत के माध्यम से मार्च में सुनवाई किए जाने की संभावना है।लखनऊ में बनेगा UP का पहला दिव्यांगों के लिए पार्क, गैजेट्स, सिस्टम, सेंसर समेत जानिए और क्या मिलेंगी सुविधाएं
याचिका में उठाए गए कई प्रश्न बोर्ड ने यह भी कहा कि एक मुस्लिम महिला नमाज के लिए मस्जिद में प्रवेश करने के लिए स्वतंत्र है और यह उसका विकल्प है कि वह मस्जिद में नमाज के लिए उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाने के अपने अधिकार का प्रयोग करे। बोर्ड ने कोर्ट में पेश हलफनामे में कहा कि याचिका में उठाए गए प्रश्न राज्य की कार्रवाई की पृष्ठभूमि में नहीं हैं। पूजा स्थलों में धर्म की प्रथाएं निजी हैं जो ‘मुत्तवलिस’ के माध्यम से विनियमित होती है।ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 1200 करोड़ रुपए का निवेश,जानिए क्या है पॉलिसी
इस्लामी सिद्धांतों के आधार पर सलाह दे सकता हलफनामे में कहा गया है कि एआईएमपीएलबी बगैर राज्य के हस्तक्षेप के एक विशेषज्ञ निकाय होने के नाते इस्लामी सिद्धांतों के आधार पर सलाह दे सकता है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि एआईएमपीएलबी और शीर्ष अदालत एक धार्मिक स्थान की व्यवस्था के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकते हैं, जो धर्म में विश्वास करने वालों की धार्मिक प्रथाओं के लिए पूरी तरह से निजी तौर मामला है।अखिलेश बोले-इन्वेस्टर्स समिट और जी-20 में जनता की कमाई लुटा रही सरकार
मुस्लिम महिलाओं के लिए 5 वक्त की नमाज पढ़ना जरुरी नहीं हलफनामे में कहा गया है कि इस्लाम ने मुस्लिम महिलाओं पर जमावड़े में रोजाना पांच वक्त की नमाज में शामिल होना अनिवार्य नहीं किया है और न ही महिलाओं के लिए साप्ताहिक शुक्रवार की नमाज सामूहिक रूप से पढ़ना अनिवार्य है, हालांकि मुस्लिम पुरुषों के लिए ऐसा करना जरूरी है।