उपभोक्ता परिषद ने जताई खुशी उपभोक्ता परिषद के अनुसार सभी उच्च दरों वाले ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से 48 से 65 प्रतिशत अधिक दर वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर पूर्वांचल पश्चिमांचल दक्षिणांचल में निरस्त होंगे। परिषद ने मध्यांचल विद्युत निगम की कार्रवाई पर मुख्यमंत्री का आभार जताया है।
उपभोक्ता परिषद लंबे समय से कर रहा था विरोध उत्तर प्रदेश में 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर टेंडर जिसकी लागत लगभग 25000 करोड़ जिसमें देश के बडे निजी घराने मैसर्स अदानी जीएमआर व इन टेलीस्मार्ट जिसकी दरें ऐस्टीमेटेड कॉस्ट 6000 रुपए से 48 से 65 प्रतिशत अधिक आई थी। जिसे लेकर उपभोक्ता परिषद लंबे समय से विरोध कर रहा था कि इस टेंडर को अभिलंब निरस्त किया जाए। विगत दिनों उपभोक्ता परिषद ने इसके विरोध में विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी डाली थी।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर कैंसिल पावर काररेशन प्रबंधन से इसे निरस्त करने की मांग कर रहा था। उपभोक्ता परिषद ने देश के प्रधानमंत्री, ऊर्जा मंत्री से इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग उठा रहा था। उपभोक्ता परिषद की लडाई रंग लाई और देर रात मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर जिसमें मेसर्स अडानी न्यूनतम निविदादाता थे और जिनकी दर लगभग10 हजार रुपए के करीब थी, उनका टेंडर कैंसिल कर दिया गया है।
उच्च दर पर आए टेंडर होंगे निरस्त मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के टेंडर की लागत लगभग 5400 करोड़ थी। बहुत जल्द ही उपभोक्ता परिषद को उम्मीद है कि दक्षिणांचल पूर्वांचल और पश्चिमांचल में भी उच्च दर पर आए, टेंडर को निरस्त किया जाएगा।
उपभोक्ता परिषद ने उठाए थी मांग उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद लगातार यह मुद्दा उठा रहा था कि केंद्र सरकार के इशारे पर उच्च दर पर इस टेंडर को अंतिम रूप रूप देने के लिए दबाव डाला जा रहा था.जिस के संबंध में पिछले दिनों उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से भी बात कर हस्तक्षेप की मांग उठाई थी।
प्रति मीटर रुपया एस्टिमेटेड कॉस्ट तय हो: अवधेश अवधेश कुमार वर्मा बताया कि जब भारत सरकार के अधीन रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड ने स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन में प्रति मीटर रुपया 6000 की एस्टिमेटेड कॉस्ट तय कर दी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में प्रति मीटर जो रुपया 10,000 से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें आई है। उसे बिना देरी किए निरस्त किया जाए। उत्तर प्रदेश सरकार को चार कलेक्टर की जगह 8 क्लस्टर में टेंडर निकाल कर अपनी निविदा नियमों पर टेंडर को आगे निकालना चाहिए।