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अगले चरण में इन दोनों दुकानों का व्यवस्थापन फिर से ई-लॉटरी के माध्यम से करवाया जाएगा। पहले चरण के बाद अव्यवस्थित रहने वाली दुकानों को दो बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा इसके बाद प्राप्त दोनों ही दुकानें मूल दुकान से संबंधित ग्राम/वार्ड/मोहल्ले में ही खोली जाएगी। दुकानों का नाम बदला नहीं जाएगा बल्कि उनके आगे ‘क’ और ‘ख’ लिखा जाएगा। इस बार देसी व अंग्रेजी शराब, बीयर तथा माडल शाप के लाइसेंस शुल्क में बढ़ोत्तरी की गई है। इसके अलावा लाइसेंस लेने के लिए देसी व अंग्रेजी शराब तथा बीयर की बिक्री का कोटा भी दुकानवार के लिए तय कर दिया गया है।
आबकारी विभाग के कोटा व अन्य मानक पूरे न होने की वजह से तमाम मौजूदा लाइसेंसियों का नवीनीकरण नहीं हो सका। नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब बाकी बची दुकानों के लाइसेंस आवंटन के लिए पहले चरण की ई-लॉटरी से लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रदेश में इस वक्त करीब 800 से 900 के बीच देसी शराब की दुकानें व्यवस्थित होने से रह गई हैं। करीब 150 माडल शाप, 300 अंग्रेजी और इतनी ही बीयर की दुकानें भी छूट गई हैं।
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आबकारी आयुक्त के फरमान पर उठ रहे सवाल
आबकारी आयुक्त के नए फरमान से अब दो सवाल उठ रहे हैं। पहला- नुकसान की आशंका के चलते जब कारोबारी जिन दुकानों को चलाने के इच्छुक नहीं हैं, क्या गारंटी है कि ऐसी दुकानों को दो हिस्सों में बांटकर लाइसेंस आवंटन से बिक्री बढ़ जाएगी और कारोबारी को नुकसान नहीं होगा। दूसरा- जब इलाके में एक शराब की दुकान खोलने और उसे चलाने में क्षेत्रीय जनता के विरोध का कारोबारियों को सामना करना पड़ता है तो ऐसे में एक ही मोहल्ले में एक और दुकान खोलने पर क्या जनविरोध नहीं होगा?