ये भी पढ़ें- नए मामले आने से ज्यादा डिस्चार्ज हो रहे कोरोना मरीज, बढ़ रही रिकवरी दर, घट रहे कोरोना के मामले मामला संज्ञान में आने के बाद जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने इन अस्पतालों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हालांकि अस्पतालों का कहना है कि मरीजों के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। नोटिस मिला है, जिसका जवाब दिया जाएगा। ग़ौरतलब है कि यूपी में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित शहर राजधानी लखनऊ ही है, जहां प्रतिदिन औसतन एक हजार मामले सामने आ रहे हैं। वहीं कोरोना से सर्वाधिक 602 मौतें भी यहीं पर हुई हैं। ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों की कार्यशैली कहीं न कहीं अब घेरे में आती दिख रही हैं।
ये भी पढ़ें- यूपी में बना ऐसा मास्क जो कोरोना से बचाएगा व घर के कामों में भी करेगा मदद प्राइवेट अस्पतालों संक्रमितों को शिफ्ट करने में कर रहे देरी-मंगलवार को मामला उजागर हुआ जिसमें बताया गया कि बीते दिनों चरक अस्पताल में 10, चंदन हॉस्पिटल में 11, अपोलो हॉस्पिटल में 17 और मेयो हॉस्पिटल में 10 कोरोना मरीज भर्ती किए। हालांकि भर्ती करते वक्त इनकी कोरोना जांच नहीं की गई, जिससे उसी दौरान यह बात उजागर नहीं हो पाई। बाद में इलाज के दौरान इन सभी मरीजों की मौत हो गई। प्रोटोकॉल के मुताबिक अस्पतालों में भर्ती होने के लिए आने वाले सभी मरीजों की कोरोना जांच अनिवार्य है। लेकिन शिकायतें मिल रही हैं कि उक्त चार के साथ कई और अन्य प्राइवेट अस्पताल बिना कोविड जांच के ही मरीजों को भर्ती कर ले रहे हैं। बाद में तबीयत बिगड़ने पर उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ रही है। इसके अलावा कई अस्पतालों में संक्रमितों को शिफ्ट करने में देरी के मामले भी सामने आ रहे हैं।
जिलाधिकारी का यह है कहना- लखनऊ जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश का कहना है कि जिन चार प्राइवेट अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है, प्रथमदृष्टया उनके द्वारा कोविड मरीजों की जांच में लापरवाही की बात सामने आई है। अस्पतालों में प्रोटोकॉल के अनुरूप होल्डिंग एरिया न होने के कारण मरीजों को दिक्कतें हुईं। नोटिस जारी कर इन अस्पतालों से जवाब तलब किया गया है। उन्होंने कहा कि जवाब मिलने के बाद अस्पतालों पर कार्रवाई की जाएगी। नोटिस के मुताबिक, लापरवाही पाए जाने पर इन प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ ऐपिडेमिक ऐक्ट के तहत कार्रवाई भी होगी।