लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) में बुधवार को कैबिनेट का विस्तार (Cabinet Expansion) हो गया। 6 मंत्रियों, 6 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार व 11 राज्यमंत्रियों ने पद व गोपनीयता की शपथ ली। इसके बाद सीएम योगी (CM Yogi) ने सभी के साथ बैठक कर अनुशासन का पाठ पढ़ाया व ईमारनदारी के साथ काम करने की सलाह दी। बाद में प्रेस वार्ती भी की जिसमें सभी नए मंत्रियों का गुणगान किया, लेकिन मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके मंत्रियों के लिए एक शब्द नहीं कहा। साफ तौर पर जिस ईमानदारी की वह उन मंत्रियों से उम्मीद कर रहे थे, उस पर वे खरे नहीं उतरे। और इसी कारण उनसे इस्तीफा मांगा गया। अपनी प्रेस कांफ्रेंस में सीएम ने उनका जिक्र करना तक ठीक नहीं समझा। मंत्रिमंडल के विस्तार से एक दिन पहले वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल (Rajesh Agarwal), सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह (Dharmpal Singh), बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल (Anupama Jaiswal) तथा भूतत्व एवं खनिकर्म राज्यमंत्री अर्चना पांडेय (Archana Pandey) ने इस्तीफा दे दिया था। लेकिन सूत्रों की मानें की भाजपा प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल (Sunil Bansal) ने उनसे इस्तीफा मांगा था व उनके कार्य को लेकर नाराजगी जताई थी। यह सब अमित शाह (Amit Shah) के निर्देश के बाद हुआ।
ये भी पढ़ें- रैगिंग मामले के बाद सैफई मेडिकल युनिवर्सिटी के वीसी को मिली जान से मारने की धमकी, प्रशासन में मचा हड़कंपअमित शाह से इस सिलसिले में हुई थी मुलाकात- बीते दिनों सीएम योगी व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) दिल्ली में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं गृहमंत्री से मिलने गए थे। जहां मंत्रिमंडल विस्तार व इन चारों के खिलाफ आ रही शिकायतों का उल्लेख किया था। उसी मुलाकात में इनकी छुट्टी की बात तय हो गई थी। मंगलवार को सुनील बंसल ने इन पूर्व मंत्रियों को बुलाया और इनके इस्तीफे की मांग की। वहीं देवा रोड स्थित संघ और यूपी सरकार में हुई बैठक में इनके इस्तीफे को मंजूर दे दी गई थी। अब आपको बतातें हैं कि इन मंत्रियों के खिलाफ शिकयात क्या आ रही थी।
ये भी पढ़ें- सपा के गढ़ के इस लाल ने विदेश में लहराया जीत का परचम, अखिलेश यादव ने मिलकर दिया बड़ा ईनामराजेश अग्रवाल- वित्त मंत्री रहे राजेश अग्रवाल की बात करें तो सूत्रों के मुताबिक उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत बीते काफी दिनों से आ रही थी। डूडा के करोड़ों के टेंडर अपने रिश्तेदारों को दिलाने और विभागीय ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार कराने के तमाम उन पर आरोप लग रहे थे और दबी जुबान उनकी खूब चर्चा हो रही थी, हालांकि वे साबित नहीं हो पाए।
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग राज्यमंत्री रहीं अर्चना पांडेय का सरकार और संगठन में कामकाज शून्य था। वहीं एक स्टिंग ऑपरेशन में अर्चना पांडेय के निजी सचिव पर भी गाज गिरी थी। यही नहीं बीते लोकसभा चुनाव में उनके निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार को हार मिली थी। माना जा रहा है कि इन वजहों के चलते उन्हें पद से हटाया गया है।
अनुपमा जायसवाल- बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री रहीं अनुपमा जायसवाल का भी कुछ ऐसा ही हाल रहा। कार्यकर्ता लेकर अधिकारी तक उनकी शिकायत कर रहे थे। परिवारजनों का भी उनके काम में हस्तक्षेप था। साथ ही सरकारी स्कूलों में जूते-मोजे, स्वेटर और पाठ्यपुस्तकों के टेंडर को लेकर भी वह सरकार की किरकिरी करवा रही थीं। उनका विभाग फरवरी तक स्कूल के बच्चों को स्वेटर भी वितरित नहीं कर पाया था। विभाग के अधिकारियों से भी उनका टकराव रहता था।
धर्मपाल सिंह- सिंचाई विभाग के मंत्री रहे धर्मपाल सिंह के विभाग में भ्रष्टाचार काफी था। यही नहीं विभाग में कई दलाल भी सक्रिय थे। कमीशनखोरी को भी बढ़ाया दिया जा रहा था। यही उनके मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की मुख्य वजहें बनी।
Hindi News / Lucknow / नहीं किया होता ऐसा, तो चारों मंत्री बने रहते सीएम योगी के मंत्रिमंडल में, अमित शाह ने दे दिए थे आदेश