scriptउत्तराखंड त्रासदी : तपोवन के पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे यूपी के 20 मजदूर लापता | 20 workers of UP working in Tapovan power project missing | Patrika News
लखनऊ

उत्तराखंड त्रासदी : तपोवन के पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे यूपी के 20 मजदूर लापता

– लखीमपुर खीरी के 15 और श्रावस्ती के 5 मजदूरों की तलाश तेज- गंगा किनारे सतर्कता बढ़ी, सिंचाई विभाग ने कहा- कोई असर नहीं- स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती बोले- संतों-वैज्ञानिकों ने था चेताया, सरकारों ने की अनदेखी

लखनऊFeb 08, 2021 / 03:07 pm

Neeraj Patel

1_3.jpg

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. उत्तराखंड के जोशीमठ में ग्लेशियर फटने से आई भीषण तबाही में तपोवन के पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे उत्तर प्रदेश के 20 मजदूर लापता हैं। जिसमें लखीमपुर खीरी जिले के 15 मजदूर और श्रावस्ती जिले के 5 मजदूर लापता है। जिनकी तेजी के साथ तलाश जारी है। त्रासदी की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। जिस वक्त तबाही आई उस वक्त तपोवन के पॉवर प्रोजेक्ट में काम कर रहे कई मजदूर टनल में फंस गए थे, इनमें निघासन तहसील क्षेत्र के गांव बाबू पुरवा, भेरमपुर, मांझा व कड़िया के 15 युवक भी शामिल हैं जो पावर प्रोजेक्ट में काम करने के लिए गए थे। हादसे के बाद से परिजनों का उनसे कोई भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। परिजनों में कोहराम मचा हुआ है और सभी का रो-रोकर बुरा हाल हैं।

त्रासदी में बचे एक मजदूर ने यह जानकारी अपने घरवालों को दी और कहा कि वह तो बच गया लेकिन उसके साथ काम करे रहे 15 साथी या तो सैलाब में बह गए या फिर टनल में फंसे हैं। इसकी सूचना जैसे ही लापता मजदूरों के परिजनों को हुई तो उन्होंने फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी से बात नहीं हो पाई। बताते चलें कि निघासन तहसील क्षेत्र के इंडो नेपाल बॉर्डर पर स्थित गांव बाबू पुरवा, भेरमपुर, मांझा और गांव कड़िया हैं। बाबूपुरवा गांव के पांच युवक हीरालाल, सूरज, अर्जुन, विमलेश, धर्मेंद और अरुण अभी तक लापता हैं, जिनकी कोई सूचना नहीं मिल पाई हैं। 10 युवक भेरमपुर व मांझा गांव के भी हैं जिनसे परिजनों का संपर्क नही हो पा रहा हैं।

गंगा किनारे बढ़ी सतर्कता

सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बांध टूटने से रामगंगा नदी किनारे बसे गांवों में भी सावधानी के नाते लोगों को सतर्कता बरतने को कहा गया है। पूर्व प्रधान पति वीर सिंह ने बताया कि उत्तराखंड के चमोली में बांध टूटने से पानी के बहाव के खतरे को देखते हुए गांव भागीजोत, झाड़पुरा में मनादी करा दी गई है। गांव वासी सतर्कता बरतें और समय बेसमय नदी के किनारे न जाने की भी हिदायत गांव वालों को दी गई है। तहसीलदार रमेशचंद्र चौहान ने बताया कि रामगंगा नदी में खतरे की ऐसी कोई संभावना नहीं है। फिर भी राजस्व कर्मियों को सतर्क किया गया है।

गंगा महासभा के महासचिव ने दिया यह बयान

इस मामले को लेकर गंगा महासभा के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने अपना बयान जारी कर कहा है कि पूर्व और वर्तमान की सरकारों की लापरवाही के कारण यह घटना हुई है। उन्होंने कहा कि 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद यह सबसे बड़ी तबाही है। चमोली जिले में धौलीगंगा नदी में ग्लेशियर के फटने और हिमस्खलन के कारण आई बाढ़ के सामने बांध, गाड़ियां और मनुष्य जो सामने पड़े तिनके की तरह सैलाब में बह गए। उन्होंने बताया कि गंगा महासभा पहले भी कई बार उत्तराखंड में बन रहे बांधों को लेकर चेतावनी दे चुकी है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों और संतों ने बार बार चेताया है, लेकिन इसके बावजूद सरकारों ने बांधों का काम जारी रखा। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि प्रोफेसर शिवाजीराव ने 2002 में ही टिहरी बांध को टाइम बम कहा था। अब टिहरी बांध को सही करने का समय आ गया है क्योंकि उसका भी समय पूरा हो गया है। अब सरकार को टिहरी बांध को समय रहते सही कर लेना चाहिए।

अब तक 15 शव निकले

उत्तर प्रदेश से इन सभी के साथ गए एक युवक विमल ग्लेशियर फटने से आई तबाही के दौरान जिंदा बच गया। उसने अपने परिजनों को फोन से जानकारी दी कि सभी साथी पानी के तेज बहाव में डूबकर लापता हो गए हैं। यह सूचना मिलते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई। पूरे गांव में मातम छाया हुआ हैं। गौरतलब है कि इस त्रासदी में 155 लोगों के मारे जाने की आशंका है। अभी तक 15 शव निकाले जा चुके हैं। बाकी लोगों की रेश्क्यू कर तलाश की जा रही है। सिंचाई विभाग के एक्सईएन का कहना है कि उत्तराखंड से पानी केवल गंगा नदी में आएगा। बाकी और किसी नदी में आने का कोई मतलब नहीं है। सभी संवेदनशील प्वाइंटों पर अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है। किसी को घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

Hindi News / Lucknow / उत्तराखंड त्रासदी : तपोवन के पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे यूपी के 20 मजदूर लापता

ट्रेंडिंग वीडियो